Saini Hostal Room 850/- | मिल रहा रूम छात्र को बड़ी खबर | मिल रहा रहने के कमरा कम कीमत पर | कैसे मिलेगा छात्र को कमरा रेंट पर | ज्योतिबा फूले होस्टल योजना | स्टूडेंट्स को 850 /- में किराये रहने को |
जैसा की आजकल महगाई में जहा गरीब परिवारों को अपने बच्चो को कमरा रहने को नहीं मिल पाता है वही पर अब ज्योतिबा फूले छात्रावास योजना में समाज के लोगो ने सैनी समाज के सभी छात्रो को आसान से आसान किराया योजना में रूम देने का तय किया हैl
जैसा की सरकारी छात्रावासों में भी रूम दिया जाता है बछो को पढ़ने के लिए कम से कम कीमत पर जिस की आम जनता का विकास हो सके उनके बालको को आसानी से रहने को शहर में मकान मिल सके जिसका खर्च भी वे आसानी से वहन कर सके l आमजन के छात्र जो की मजदुर परिवार के होते है अब इन छात्रावासों में सभी सुविधा जैसा की पंखा ,बेड ,मेज कुर्शी के साथ ले सकते है जिससे की छात्र को अपनी पढाई करने में किसी भी तरह की कोई परेशानी भी नहीं होती है l
अलवर शहर जो की राजस्थान का प्रसिद्ध शहर है में सैनी छात्रवास योजना चल रही है l
जिसमे सैनी समाज के छात्र अपने अध्धयन के दोरान आसानी से रूम ले सकते है l
अपनी पढाई का प्रमाण देना होता है l
जिसमे जिस कॉलेज में पढ़ रहे है वहा की fee रशीद को दिखाकर छात्रावास में एडमिशन ले सकते है l
सभी छात्रो को आसानी से बिजली पानी की पूरी सुविधा मिल रही है l
इस योजना का लाभ आमजन ने अपने सामूहिक योगदान करके जुटाया है जिसके कारण आसानी से सभी मजदुर या निम्न श्रेणी के लोगो के बच्चो को कोई भी बड़ी से बड़ी शिक्षा मिल सके l
जिससे जो भी पिछड़े हुए है उनको आसानी से शिक्षा मिल सके यह सब जब ही हो पाता है की आसानी से शहर के बड़े से बड़े स्कूल कॉलेज में आसानी से प्रवेश ले सके और शहर में रह कर मिल सके l
महात्मा ज्योतिबा फुले एक ऐसे महापुरुष है जिन्होंने सभी जातियों को शिक्षा के लिए स्कूल खोले साथ ही नारी शिक्षा को भी बढ़ावा भी दिया है जिससे स्त्री जाति को विशेष पुरुष और स्त्री को सभी को सामान अधिकार देने का भी आन्दोलन चलाया जिससे की स्त्री जाती की दयनीय स्थिति को भी सही किया जा सके l
जैसे जैसे नारी जाती की शिक्षा का बढ़ावा मिलेगा सभी पिछड़ी जातियों की महिलाओ की भी आर्थिक दशा को सही और समान करने का अवसर मिलेगा l ज्योतिबा फुले भी एक साधारण परिवार में जन्मे थे इन्होने फुल माला से जुडा काम किया इसलिए ज्योतिबा के नाम से फुले शब्द को जोड़ा गया जैसा की इतिहासकारो ने बताया है की ज्योतिबा शुरू से ही बड़े समाज सुधार के काम किये थे जिसमे सबसे बड़ा काम था सभी समाज के लोगो को बच्चो को और महिलाओ को शिक्षा की व्यवस्था करना जिसमे अहम् है जगह जगह स्कूल खोलना l
आमजन को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ज्योतिबा फुले ने बड़ा काम किया l
इसलिए आजा भी जो भी आमजन के भलाई के काम किये जाते है महात्मा ज्योतिबा फुले के नाम से किये जाते है l
जैसा की बालको के छात्रावास योजना में जो की नाम मात्र के किराए पर दिए जाते है l
जैसा की माता सावत्री बाई फुले जो की महात्मा ज्योतिबा फूले की पत्नी थी ने भी एक साथ मिलकर समाज को शिक्षित करने का आन्दोलन चलाया था l
जिसमे उस समय में पति पत्नी को अपने परिवार का विरोध का भी सामना करना पड़ा और घर तक से निकाल दिया गया था l
जैसा की अब तक हमने जाना की महात्मा ज्योतिबा फुले एक बड़े दार्शनिक ,लेखक , समाज सुधारक ,क्रांतिकारियों के साथ अनेको विशेषता रखने के धनी थे l
जन्म एक साल बाद ही इनकी माता की मृत्यु हो गयी थी इनका जन्म पुणे के एक गाँव में 11 अप्रैल 1827 ईस्वी को हुआ था गाँव का नाम खानवाड़ी जो ब्रिटिश शासन के अधीन था इनके पिता का नाम गोविंदराव था माता का नाम चिमनाबाई था
इसका पालन पोषण सगुना बाई नामक दाई माँ ने किया था l
इनका प्रचलित नाम महात्मा फुले और ज्योतिबा फुले है l
इनके परिवार के जरिये माला और गजरा बनाने का काम किया गया था जो कई पीढियों से किया जा रहा था l
जिससे इनको फूलवाला याने फुले नाम से जाना जाने लगा l
माना जाता है की मराठी भाषा की पढाई में जातिगत भेदभाव होने से स्कुल को छोड़ा
बाद में अंग्रेजी में केवल सातवी क्लास तक की पढाई इनके जरिये की गयी l
सन 1840 में सावित्री बाई फुले के साथ ज्योतिबा फुले का विवाह हुआ l
सावित्री बाई एक कर्मठ महिला थी जिनके जरिये स्त्री शिक्षा और दलित शिक्षा पर बड़े काम किये जिसमें इसके जरिये महिला स्कुल खोलकर पढ़ाना मुख्य काम था जिस समय स्त्री शिक्षा को बड़े भेदभाव के साथ देखा जाता था
स्कूल स्थापना
जैसा की ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले ने ही देश में सबसे पहले 1840 में स्त्रियों की शिक्षा के लिए खुद का एक स्कूल तक खोल दिया
जिसमें इनको स्त्रियों को पढ़ाने के लिए कोई शिक्षिका भी नहीं मिल पाई तो सावित्री बाई फुले खुद ही पढ़ाने के लिए तैयार हो गयी स्कूल के खोलने से धनाढ्य वर्ग ने इनका बहिष्कार किया जिसके कारण इनके पिताजी ने भी इनको इनके घर से बाहर निकाल दिया l
महाराष्ट्र में 24 सितमबर 1873 इनके प्रयासों से ही सत्यशोधक समाज की स्थापना की गयी l
जिसका मुख्य काम था दलित महिलाओ को शिक्षा देना व् जातिवाद का अंत करना l
विधवा विवाह के भी समर्थक थे l
बाल विवाह का भी विरोध किया l
इसके अलावा हिन्दू विवाह को बिना किसी पंडित के होने के बाद भी कानूनन कोर्ट के जरिये वेध करार दिलवाया l
इसके जरिये कई किताबो को भी लिखा गया l
इनके आमजन के प्रति कार्यो को देखते हुए 11 मई 1888 में मुंबई की एक सभा में महात्मा की उपाधि दी गयी l
इनका देहांत 28 नवमबर 1890 को पुणे में 63 साल की आयु में हो गया l