बीमारी से नोकरी जाने पर मिलेगा मुवावजा -CLAIM DUE TO ILLNESS
REASION,
बीमारी से नोकरी जाने पर मिलेगा मुवावजा -CLAIM DUE TO ILLNESS
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भारत देश को मजदूरों को देश कहा जाये तो कोई गलत बात नहीं होगी क्योकि काफी समय पहले अंग्रेजो ने बड़े दमनकारी नीति से यहाँ के लघु उद्योग धंधो को नष्ट कर दिया जिसके कारण सभी लोग दूसरे उधोग में मजदूरी करने को मजबूर हो गये साथ ही अंग्रेजो ने शिक्षा नीति में भी बदलाव करके मात्र लिपिक बनने के लिए भारतीयों को मजबूर कर दिया।
इसी का नतीजा है देश का युवा पढ़ा लिखा हो कर भी कोई अपना खुद का व्यवसाय नहीं कर पाता है।
देश में अंग्रेजो ने अपने गुलामो से काम करने के लिए शख्त कानून बना रखे थे जो चीनी मिलो और कपडा मिलो में लगे श्रमिकों का शारीरिक रूप से शोषण करते थे अब देश के आजाद होने पर श्रमिकों की दशा को सुधारने के लिए बड़े बड़े श्रम कानून बनाये गए जिसमे श्रमिकों को लाभकारी योजनाओ से जोड़ा गया।
श्रमिकों के हितो की रक्षा के लिए अलग से श्रम मंत्रालय भी बनाया गया है जिसमे सभी श्रमिकों को योजना लाभ दिया जाता है जैसा की मजदूरों के स्वास्थय ईएसआई योजना को भी उधोगो पर लागु किया गया है साथ ही उनको काम छोड़ने के बाद यानि की सेवानिवृत होने पर कुछ धन राशि मिल सके इसके लिए PF के रूप में भी फंड जमा किया जाता है।
अब तक आर्थिक दशा सुधारने के लिए अनेको श्रम योजना को उधोगो पर लागु किया गया है अब हाल ही में एक श्रमिक हित योजना को लागु की किया है जिसमे अगर श्रमिक की लम्बी बिमारी चल रही है तो उसको उधोग विशेष से नहीं निकाला जा सकेगा।
जैसा की लम्बी बिमारी के चलने के कारण एक और तो श्रमिक आर्थिक रूप से कमजोर होता जाता है और उसका शरीर भी कोई अन्य काम करने की स्थिति में नहीं होता है जिसके कारण श्रमिक के साथ साथ उसके परिवार को भी काफी परेशानी उठानी पड़ती है।
इस विधेयक को श्रम कानून संशोधन भी कह दे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योकि इसमें पहले के तीन श्रम कानूनों को मिलाया गया है इसमें ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 ,इंडस्ट्रियल एम्प्लॉयमेंट (स्टेंडिंग ऑर्डर्स )एक्ट 1946 और औधोगिक विवाद अधिनियम 1947 को शामिल किया गया है। अभी हाल ही में जारी एक बिजनेश स्टेंडर्ड की रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है।
हाल ही में अभी औधोगिक विवाद अधिनियम 1947 के मुताबिक छटनी किये जाने पर नियोक्ता के द्वारा कामगारों को मुवावजा देना पड़ता है लेकिन एक्ट के अनुसार कुछ परिस्थितियों में उनको छूट मिली है। जिसमे अनुसाशनात्मक कार्वाही भी शामिल है।
जिसमें किसी मजदुर को लम्बी बिमारी के कारण निकला जाता है तो उसको मुवावजा देने का विकल्प नहीं है। लेकिन अब श्रम विधेयक के आ जाने पर लम्बी बिमारी के कारण अगर श्रमिक को निकाला जाता है तो अब मुवावजा मिल पायेगा सभी श्रम संगठन भी इस कानून के पक्ष में है।
अब कोइ कंपनी श्रमिक को नोकरी से निकालती है तो उसको एक महीने सेलरी और मुवावजा देना पड़ता है। इसमें हर साल श्रमिक के 15 दिन के वेतन का भुगतान भी शामिल है साथ ही ऐसे कामगारों को छटनी से बचाने का प्रावधान भी है जिनको एक निश्चित समय के लिए नौकरी पर रखा गया था। हलाकि जब एक निश्चित समय से पहले कोई भी कम्पनी कामगार को निकालती है तो उसको मुवावजा देने का अधिकार होगा।
लेकिन तय समय पूरा हो जाने पर श्रमिक को कोई भी मुवावजा नहीं मिल पायेगा
इस विधेयक के अनुसार किसी भी नियोक्ता ने एक अनुबन्ध किया है उसके मुताबिक वह समय पूरा हो गया तो ऐसी स्थितिमें कामगार को कोई भी मुवावजा राशि कनही दी जाएगी लेकिन किये गये अनुबन्ध से पहले किसी भी कारण जैसा की मशीन का ख़राब होना या कच्चा माल न मिल पाना आदि समस्या के रहते नियोक्ता कामगार को काम से हटाता है तो उसको मुवावजा राशि यानि की कामगार की होने वाली मजदूरी क्षति राशि देनी पड़ेगी।
इस आर्टिकल के जरिये आम जन को बताया गया है की आम नागरिक जो बीमारी के कारण बेरोजगार हो जाता है तो उसकी आर्थिक स्थिति ढगमगा जाती है जिससे आम नागरिक दिन ब दिन परेशानी मे गिर जाती है एक और उसके पास इलाज का पैसा नहीं रहता है जिसके कारण वह इलाज भी नहीं करा पाता है साथ ही उसके खाने दाने की समस्या भी पैदा हो जाती है ।
आर्टिकल के जरिये निजी कामगारों को जानकारी मिल पाएगी की बीमारी के कारण नोकरी जाने पर भी अब खर्चा मिल पाएगा जिससे आमजन के सामने परेशानी नहीं आ पाएगी