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बुढ़ापा पेन्सन सत्यापन “मै जिंदा हूँ ?-Old Age Penson Verification

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बुढ़ापा पेन्सन

मानव जीवन जैसे की सब को पता है की है व्यक्ति जन्म लेता है किशोर बनता है युवा बनाता है

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और अंतमे बुड़ा बन कर मर जाता हैजैसा की सबको पता है की तीन अवस्था मे तो लोगो को जीवन

को जीने मे कोई कठिनाई नहीं होती है।

बुढ़ापा पेन्सन की जरूरत

लेकिन जब वह बुडा हो जाता है तो काफी लोगो को बीमारिया हो जाती है या फिर किशी कारण से

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शरीर काम करना बंद कर देता है तो उसको संभाल कर खाना दाना देने के

लिए कोई भी आगे नहीं आता है जिस कारण से बुड़ापा बड़ा ही कष्ट दायी हो जाता है और

जीने के लिए भोजन दवा का बंदोबस्त नहीं हो पाने के कारण बुड़े व्यक्ति को तिल तिल के

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मरना पड़ता है ।

सरकार की पेन्सन योजना

इस तरह की घटना हर किशि बुड़े व्यक्ति के साथ न हो इसके लिए हमारी राज्य व केंद्र सरकारो ने

काफी पेन्सन योजनाए चला रक्खी है जिसके कारण बुड़े व्यक्तियो को समय समय पर दवा दारू मिलता रहे और

उनका बुड़ापा चैन से काटा जा सके ।

55 या 60 साल मे योजना

ये जो सहायता राशि को सरकारे देती है तो इसको सामूहिक रूप से पेन्सन योजना कहते है अब बात

करते है बुड़ापा पेन्सन योजना जो की राज्य सरकार देती है जो स्त्री पुरुष लगभग 55 या 60 साल के हो जाते है

उनको एक निश्चित राशि जैसेकी 700 रुपए या1000 रुपए सरकार देती है इशके लिए सरकार के वृद्धवस्था के विभाग

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की वैबसाइट जिसका लिंक है ।

सामाजिक सुरक्षा पेन्सन पर क्लिक करके भर सकते है।

पेन्सन फोरम भरना

ये पेन्सन योजना का समाय समाय पर फार्म भरने के बाद सत्यापना होता है । जब वार्ड का सफाई कर्मचारी

उस पेन्सन का फारम भरने वाले व्यक्ति का सत्यापन कर देता है तो उस बुड़े व्यक्ति की पेन्सन उसके द्वारा

दिये गए बैंक के बचत खाते मे आनेलग जाती है ।

पेन्सन डाक रुकने का कारण

इशशे पहले डाक विभाग के डाकिये के जरिये भी पेन्सन भेजी जाने लगी थी क्योकि कई बार एशि घटना घटित हुई

की पेन्सन पाने वालेव्यक्ति के पास पेन्सन नहीं पहुची। या पेन्सन पाने वाला व्यक्ति काल का ग्रास बन गया

तो अब कैसे पता चले की पेन्सन पाने वाला व्यक्ति जिंदा है या मर गया।

बायोमेट्रिक प्रणाली का चलन

ईश उद्देश्य की पूर्ति के लिए सबसे पहले व्यक्ति को पेन्सन विभाग के ऑफिस मे आकर अपने जीवित होने का

प्रमाण पत्र देना होता था लेकिन अब जैसा की घर घर मे बायूमेट्रिक मशीने ई मित्रो पर मिल जाती है चुकी बुड़े व्यक्ति

को ऑफिस मे आने जाने मे परेशानी न हो इसके लिए घर बैठे ही बायो मेट्रिक मशीन पर उनके अगुथे या अगुली के

जरिये सत्यापन किया जाने लगा है ।

बायोमेट्रिक मेट्रिक प्रणाली का फेल होना

कई बार ईश पद्धति से काम नहीं हो पाता है क्योकि बूढ़े हुये व्यक्ति की हस्त रेखाये मिटने लग जाती है जिस कारण से उनका

बायोमेट्रिक मशीन से जीवित रहने की पुष्टि नहीं हो पाती है ।

OPT प्रणाली का सहारा

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OPT यानी की वन टाइम पास वर्ड कहते है ये जिस व्यक्ति का पेन्सन फोरम भरा होता है । उसके मोबाइल पर भेजे जाते है

जिनको वैबसाइट पर आये हुये ओटीपी के OPTION मे भर दिया जाता है ।

मै जिंदा हूँ का सत्यापन

जैसे ही बूढ़े व्यक्ति ईश प्रणाली मे अपनी उपस्थिती दर्ज कराते है सरकार की वैबसाइट पर उसके जिंदा होने का प्रमाण

दर्ज हो जाता है । जिससे आम आदमी को आसानी से पेंसन मिल जाये तो किसी तरह का कोई भी भ्रष्टाचार नहीं हो पायेगा। आमआदमी की परेशानी भी कम हो जायेगी।

नोट -ईश प्रणाली के चलन से निष्पक्ष रूप से बूढ़े व्यक्ति के जीवित होने

का प्रमाण मिल जाता है किशी भी दलाल को कोई सिफ़ारिश देने की

जरूरत नहीं है।

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