ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction | आईटीआई ट्रेड की अह्मियत ,सावधानिया ,स्वास्थ्य से जुडी जानकारीया
भारत देश एक ऐसा देश है जिसके पास असंख्य युवा है और जो किसी भी बड़े से बड़े परिश्रम के काम को करने में सक्षम है इसी बात को देखते हुए देश की सरकारों ने स्किल कोशल के रूप में आईटीआई की ट्रेनिंग देना शुरू किया है l
ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
जिसको पाकर प्रत्येक युवा ट्रेनिंग के बाद ही रोजगार करने का या पाने का दावेदार हो जाता है जैसा की इसी ट्रेनिंग की प्रैक्टिकल की जानकारी हम देने जा रहे है जिससे की आम छात्र आईटीआई ट्रेड का परिचय जान सके l
प्रैक्टिकल संख्या प्रथम
जिसमे आईटीआई में प्रवेश लेने वाले छात्र को उसकी ट्रेड की महता या खूबी की जानकारी दी जाती है उसको यह बताया जाता है की वह अपने ट्रेनिंग के प्रक्टिकल में क्या क्या सीखेगा जिसके जरिये उसको किसी भी मशीन को चलाने या सुधारने में कितनी मदद मिलेगी l सबसे पहले उसको कराये जाने वाले प्रक्टिकल का उद्देश्य बताया जाता है l
ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
उद्देश्य
आईटीआई में प्रथम जो भी प्रैक्टिकल कराया जाता है उसमे उसकी ट्रेड की जानकारी दी जाती है l
ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
सावधानिया
1 . सुरक्षा हटी दुर्घटना घटी की बात सभी तरह की ट्रेनिंग या कामो पर लागु होती है l
2 . किसी भी ट्रेनिंग का अहम हिस्सा है ट्रेनिंग के समय ट्रेनी क्या क्या सुरक्षा सावधानिया अपनाता है जिससे की वह खुद और कार्यक्षेत्र को सुरक्षित रख सके l
3 . सबसे पहली सावधानी है की जिस मशीन की जानकारी न हो उसको चलाने का प्रयास न करे l
4 . वर्कशॉप में हमेशा जुटे पहन कर ही काम करना चाहिए l
5. कार्य करने वाली जगह पर फर्श पर किसी तरह का कोई तेल ,ग्रीस नहीं फैला हो l
6 . किसी भी मशीन को कब कब जांचा गया है चलाने से पहले मशीन जान लेना चाहिए l
7 . कार्य करने की जगह पर प्रयाप्त रोशनी भी होना चाहिए l
प्रैक्टिकल मेथड
आईटीआई की किसी भी ट्रेड की ट्रेनिंग में सबसे महत्वपूर्ण है l ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
1. प्रक्टिकल मेथड यानी की कार्य करने की विधि है l
2.जिसके आधार पर ही किसी भी काम को सिखा जाता है l
3 . किसी भी मशीन को कैसे कैसे काम में लिया जा सकता है l
4. किसी मशीन को कैसे चल सकते है की जानकारी मशीन की कार्य विधि की जानकारी से ही संभव है l
5 . कार्यविधि के ज्ञान से ही कारीगर को मशीन पर सही सही काम करने का ज्ञान आता है l
6. कारीगर प्रक्टिकल के जरिये ही पारंगत कारीगर बनता है l
7. प्रक्टिकल मेथड की जानकारी ही ट्रेनिंग की अहम जानकारी होती है l
8 . वर्किग मेथड का सही ज्ञान अनुदेशक के दिशा निर्देश के सही सही पालन से होता है l
9 . वर्किंग मेथड से ही ट्रेनी को काम करने का सलीका आता है वह अधिक दक्षता व् कम समय में सही काम कर पाता है l
10 . सभी मानको को देखते हुए कार्य को सही समय पर पूरा करना आता है l
11 . आईटीआई ट्रेनिंग का सही उद्देश्य वर्किंग मेथड से काम को पूरा करना है l
12. किसी काम को किस तरह से पूरा किया गया अंत में भी किये गये काम को कोई कमी तो नहीं रह गयी है की जाँच करना भी आईटीआई वर्किंग का अहम हिस्सा है l
13 . किसी भी उधोग का प्रोडक्ट सही सही बाजार में जाना ही वर्किंग मेथड का मुख्य हिस्सा है l
14 . किसी भी पार्ट विशेष का सही गुणवता यानी की सही माप के साथ पहुचना ही आईटीआई ट्रेनिंग है l
प्रक्टिकल न ०२ – आईटीआई ट्रेनिंग उपकरण व औजार
जब आईटीआई का ट्रेड परिचय ट्रेनी को वर्कशॉप में आ जाता है उसके बाद अगला कदम होता है उसको ट्रेनिंग में काम आने वाली मशीन और औजार की जानकारी देना l ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
जब बात आती है औजार की तो आईटीआई में जो भी मूल्यवान औजार आते है उनको प्रिसिजन इन्त्रुमेंट यानी की मूल्यवान उपकरन के नाम से जानते है l
उपकरण
जैसा की जो भी बड़े महंगे औजार होते है जैसा की
1. वर्नियर केलिपर 300 mm ,
2.वर्नियर हाइट गेज 300 mm ,
3. माइक्रो मीटर 0-25
4 . स्टैण्डर्ड लेवल
औजार
जिन औजार को काम में लिया जाता है जैसा की जो आम चलन में होते है उनको साधारण औजार के नाम से जानते है l जो आमतोर पर काम में लिए जाते है l ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
1 . फाइल फ्लेट 250 mm
2. स्टील रुल 300 mm
3. बेंच वाईस 150 mm
4. ट्राई स्क्वायर 150 mm
5 . फ्लैट चिजल 150 mm
6 .आउट साइड कैलीपर 150 mm
7 . इनसाइड कैलीपर 150 mm
8 . ओड़ लेग कैलीपर 150 mm
मशीन
जब हाथ के औजार के साथ मशीन के जरिये भी काम किया जाता है तो मशीन की जानकारी भी दी जाती है l जिससे की कारीगर किसी भी मशीन से काम कर सके l ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
1 . लेथ मशीन
2. CNC मशीन
3 . टूल होल्डर क्लैम्प
सावधानिया
जैसा की किसी भी मशीन को चलाने से पहले उसकी सम्पूर्ण जानकारी होना चाहिए साथ में उसके साथ में मिली निर्देशिका के जरिये भी जानकारी पढ़ना चाहिए ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
1 . सबसे पहले मशीन को चेक करना चाहिए की किसी तरह की कोई दुर्घटना तो पहले से नहीं हुई है l
2 . जैसा की मशीन के कटिंग करने वाले भाग सही तरह से लगे है या नहीं l
3 . किसी मशीन का कोई भी सेफ्टी कवर खुला तो नहीं है l
4 . मशीन का ओन ऑफ करने का स्विच चालू है या नहीं है l
5 . मशीन का ओइलिंग ग्रीसिंग अंत में कब हुआ था l
6 . किसी भी ऑपरेशन को करने से पहले बनने वाले पार्ट की ड्राइंग को सही तरह से पढ़ लेना चाहिए l
7 . टर्निंग करने से पहले काम में आने वाले कटाई करने वाले टूल को भी चेक करना चाहिए l
कार्य विधि
किसी भी मशीन के पार्ट को बनाने के लिए एक स्टेप वाइज वर्किंग मेथड की जरूरत होती है l
ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
1 . सबसे पहले काम में ली जाने वाली मशीन की जानकारी होना चाहिए
2. सभी मशीन के रख रखाव व् मेंटिनेंस की भी जानकारी होना चाहिए l
3. ट्रेनी को अनुदेशक के जरिये सभी मशीनों को चलाने की ट्रेनिंग एक एक करके दी जाती है l
4 . कार्य को करने से पहले सभी तरह के उपाय जैसा की हाथो में दस्ताने आदि पहन लेना चाहिए l
5 . किसी भी जॉब को मशीनिंग करने से पहले अनुदेशक से आवश्यक दिशा निर्देश भी ले लेना चाहिए l
6 . मशीनिंग करते समय किसी भी तरह का वार्तालाप आपस में कारीगर को नहीं करना चाहिए l
7 . हेंड टूल से काम करने के बाद जॉब को मशीन से अच्छी तरह से फिनिश किया जाता है l
8 . मशीन के कटाई टूल से सामान रूप से कटिंग होनी चाहिए l
9 . कार्यशाला में काम के पूरा हो जाने पर प्रत्येक टूल को साफ करके सही जगह रखना चाहिए l
10 . उपकरण को भी उसके डिब्बे में साफ करके रखना चाहिए जिससे की उसकी शुध्धता बनी रह सके l
11 . मशीन से काम हो जाने के बाद उसको बंद करके साफ करके कवर से ढक देना चाहिए l
परिणाम ( RESULT )
वर्क शॉप में सभी तरह की मशीनों और औजारों की लिस्ट की जानकारी कामगार को होना चाहिए जिससे की कामगार आसानी से अपना काम कर सके l
ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
प्रक्टिकल 3
सुरक्षा उपकरणों का परिचय एव उनका उपयोग
उद्देश्य – किसी भी वर्कशॉप में काम करने से पहले सभी उपकरण की जानकारी होना आवश्यक है l
वर्कशॉप में काम आने वाले आवश्यक उपकरण
1 . अग्नि शामक यन्त्र – जिसके जरिये किसी भी तरह की आग को आसानी से बुझाया जा सके l
2 . वर्क शॉप के सभी तरह के ले आउट व् सेफ्टी चार्ट l
3 . ग्लब्स
4. केप
5. चश्मा
6 . अप्रेन ( कारीगर की पोषक )
7 .शूज
8 . प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स ( जिसमे पट्टी ,खपची ,बीटादीन ,कैची ,चिमटी )
सावधानिया
1 . किसी भी वर्कशॉप में काम करने से पहले वहा पर लग रहे दिशा निर्देशों को देख लेना चाहिए l
2 . यह देख लेना चाहिए की वर्कशॉप में कितनी मशीन इलेक्ट्रिक से चलने वाली लगी है l
3. वर्कशॉप में काम करते समय सभी सुरक्षा के लिए जरुरी सामान को काम में लेना चाहिए l
4 . सभी मशीन को कवर से ढक कर रखना चाहिए l
5 . वर्कशॉप में अग्निशामक यंत्रो को बार बार एक्सपायर होने की दिनांक को चेक कर लेना चाहिए l
6 . किसी भी मशीन को बिना जानकारी के नहीं चलाना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
1 . किसी भी काम को करने से पहले अपने मशीन व् वर्कशॉप को सही तरह से जाँच लेता है l
2 . काम को शुरू वर्कशॉप की यूनिफार्म में ही करना चाहिए l
3 . हाथो को नुकसान से बचाने के लिए दस्ताने पहनने चाहिए l
4 . आँखों में किसी भी तरह की दुर्घटना न हो इसके लिए सेफ्टी गोगल को प्रयोग में लेना चाहिए l
5. सिर पर किसी भी तरह की चोट न लगे इसके लिए हेलमेट लगाना चाहिए l
6 . किसी भी वर्कशॉप में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स भी जरुरी होना चाहिए l
7 . किसी भी मशीन में होने वाली वायरिंग भी पूरी तरह से सुरक्षित होना चाहिए l
8 . कार्य क्षेत्र में मशीन में अधिक आवाज आने लगे तो उसकी ओइलिंग ग्रेसिंग करना चाहिए l
परिणाम ( result )
किसी भी किये जाने वाले काम जैसा की पार्ट आदि के बनाने का काम सफलता पूर्वक किया गया l
ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
प्रक्टिकल 4
प्राथमिक उपचार का परिचय (Introduction of First Aid )
उद्देश्य – काम करते समय दुर्घटना ग्रस्त हुए व्यक्ति को प्राथमिक उपचार करना l
ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
आवश्यक उपकरण/ सामग्री ( Essential Apparatus / Material )
किसी भी कारीगर की दुर्घटना होने पर सबसे पहले आस पास के हॉस्पिटल को सूचित करे l
किसी तरह की हड्डी टूटने की आशंका हो तो दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को सहारा देना चहिये l
चोट लगे स्थान से खून बहता है तो उस पर पट्टी बांधना चाहिए l
आंख में किसी भी तरह का कचरा चले जाने पर सफाई वाले स्थान पर जाकर पलक को पानी में बार बार खोलना चाहिए l
किसी भी कारीगर के इलेक्ट्रिक झटका लग जाने पर उसको कम्बल से ढक देना चाहिए l
आग से जले हुए श्रमिक को भी कम्बल से ढक देना चाहिए l
श्रमिक को खुली हवा आने देना चाहिए
साँस चल रही है या नहीं की जाँच भी दुर्घटना ग्रस्त स्थल पर श्रमिक को देखकर पता करना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
1. कोई भी कारीगर जिसके जिसको चोट लग जाती है तुरंत वर्क शॉप में प्राथमिक उपचार देना चाहिए l
2 . किसी भी तरह के घाव को नहीं छूना चाहिए जिससे की किसी तरह का इन्फेक्सन न फैले l
3 . सबसे पहले बने घाव से खून बह रहा हो तो उस पर पट्टी बांध देना चाहिए l
4 . स्पिरिट या डिटोल को भी पट्टी भिगोकर घाव पर लगाना चाहिए l
5 . कोई भी कारीगर का शरीर जल जाने पर उसको तुरंत पानी में डाल देना चाहिए l
6 . किसी भी श्रमिक को दुर्घटना के कारण साँस आना बंद हो जाए तो उसको तुरंत कृत्रिम सांस देना शुरू कर देना चाहिए l
7 . कारीगर का किसी भी बड़ी दुर्घटना से चोटिल हो जाये तो उसको तुरंत हॉस्पिटल ले जाना चाहिए l
परिणाम (RESULT )
इस तरह से वर्कशॉप में किसी भी दुर्घटना हुए व्यक्ति को प्राथमिक उपचार दे सकते है l
प्रैक्टिकल न 5
बिजली के साधनों का प्रचालन
उद्देश्य – वर्कशॉप में विधुतीक उपकरणों का प्रचालन जानकारी देना l
आवश्यक उपकरण / सामग्री Essential Apparatus / Material
केबिन
आई . सी .टी . पी. स्विच
एम् .सी .बी . स्विच
क्रिम्पिंग टूल
टेस्टर
पी.वी .सी . टेप
लॉन्ग नोज प्लायर
इलेक्ट्रीशियन नाइफ
वायर स्ट्रिपर
विधुत मीटर
सावधानिया / निर्देश ( precautions / instructions
किसी भी विधुत के उपकरण को चलाने से पहले चेक करना चाहिए की उनकी केबल पूरी तरह से ठीक है की नहीं l
मशीन को चलाने से पहले चेक करे की उसके आस पास पानी तो जमा नहीं हो गया है l
किसी भी समय पर फ्यूज उड़ जाने पर मोटर या मशीन के आस पास भी देख लेना चाहिए की उसकी केबल तो नहीं जल गयी है l
लोड वाली मशीन का कनेक्शन नई केबल के जरिये ही करे l
मशीन को ओपरेट करते समय हाथो पर पानी नहीं लगा होना चाहिए l
ट्यूब लाइट य बल्ब को भी सुखा कपड़ा लेकर ही उतारना चाहिए l
कार्य करते समय में स्विच को ऑफ कर देना चाहिए l
वर्क मेथड
ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction | आईटीआई ट्रेड की अह्मियत ,सावधानिया ,स्वास्थ्य से जुडी जानकारीया
भारत देश एक ऐसा देश है जिसके पास असंख्य युवा है और जो किसी भी बड़े से बड़े परिश्रम के काम को करने में सक्षम है इसी बात को देखते हुए देश की सरकारों ने स्किल कोशल के रूप में आईटीआई की ट्रेनिंग देना शुरू किय है l
जिसको पाकर प्रत्येक युवा ट्रेनिंग के बाद ही रोजगार करने का या पाने का दावेदार हो जाता है जैसा की इसी ट्रेनिंग की प्रैक्टिकल की जानकारी हम देने जा रहे है जिससे की आम छात्र आईटीआई ट्रेड का परिचय जान सके l
प्रैक्टिकल संख्या प्रथम
जिसमे आईटीआई में प्रवेश लेने वाले छात्र को उसकी ट्रेड की महता या खूबी की जानकारी दी जाती है उसको यह बताया जाता है की वह अपने ट्रेनिंग के प्रक्टिकल में क्या क्या सीखेगा जिसके जरिये उसको किसी भी मशीन को चलाने या सुधारने में कितनी मदद मिलेगी l सबसे पहले उसको कराये जाने वाले प्रक्टिकल का उद्देश्य बताया जाता है l
उद्देश्य
आईटीआई में प्रथम जो भी प्रैक्टिकल कराया जाता है उसमे उसकी ट्रेड की जानकारी दी जाती है l
सावधानिया
1 . सुरक्षा हटी दुर्घटना घटी की बात सभी तरह की ट्रेनिंग या कामो पर लागु होती है l
2 . किसी भी ट्रेनिंग का अहम हिस्सा है ट्रेनिंग के समय ट्रेनी क्या क्या सुरक्षा सावधानिया अपनाता है जिससे की वह खुद और कार्यक्षेत्र को सुरक्षित रख सके l
3 . सबसे पहली सावधानी है की जिस मशीन की जानकारी न हो उसको चलाने का प्रयास न करे l
4 . वर्कशॉप में हमेशा जुटे पहन कर ही काम करना चाहिए l
5. कार्य करने वाली जगह पर फर्श पर किसी तरह का कोई तेल ,ग्रीस नहीं फैला हो l
6 . किसी भी मशीन को कब कब जांचा गया है चलाने से पहले मशीन जान लेना चाहिए l
7 . कार्य करने की जगह पर प्रयाप्त रोशनी भी होना चाहिए l
प्रैक्टिकल मेथड
आईटीआई की किसी भी ट्रेड की ट्रेनिंग में सबसे महत्वपूर्ण है l
1. प्रक्टिकल मेथड यानी की कार्य करने की विधि है l
2.जिसके आधार पर ही किसी भी काम को सिखा जाता है l
3 . किसी भी मशीन को कैसे कैसे काम में लिया जा सकता है l
4. किसी मशीन को कैसे चल सकते है की जानकारी मशीन की कार्य विधि की जानकारी से ही संभव है l
5 . कार्यविधि के ज्ञान से ही कारीगर को मशीन पर सही सही काम करने का ज्ञान आता है l
6. कारीगर प्रक्टिकल के जरिये ही पारंगत कारीगर बनता है l
7. प्रक्टिकल मेथड की जानकारी ही ट्रेनिंग की अहम जानकारी होती है l
8 . वर्किग मेथड का सही ज्ञान अनुदेशक के दिशा निर्देश के सही सही पालन से होता है l
9 . वर्किंग मेथड से ही ट्रेनी को काम करने का सलीका आता है वह अधिक दक्षता व् कम समय में सही काम कर पाता है l
10 . सभी मानको को देखते हुए कार्य को सही समय पर पूरा करना आता है l
11 . आईटीआई ट्रेनिंग का सही उद्देश्य वर्किंग मेथड से काम को पूरा करना है l
12. किसी काम को किस तरह से पूरा किया गया अंत में भी किये गये काम को कोई कमी तो नहीं रह गयी है की जाँच करना भी आईटीआई वर्किंग का अहम हिस्सा है l
13 . किसी भी उधोग का प्रोडक्ट सही सही बाजार में जाना ही वर्किंग मेथड का मुख्य हिस्सा है l
14 . किसी भी पार्ट विशेष का सही गुणवता यानी की सही माप के साथ पहुचना ही आईटीआई ट्रेनिंग है l
प्रक्टिकल न ०२ – आईटीआई ट्रेनिंग उपकरण व औजार
जब आईटीआई का ट्रेड परिचय ट्रेनी को वर्कशॉप में आ जाता है उसके बाद अगला कदम होता है उसको ट्रेनिंग में काम आने वाली मशीन और औजार की जानकारी देना l
जब बात आती है औजार की तो आईटीआई में जो भी मूल्यवान औजार आते है उनको प्रिसिजन इन्त्रुमेंट यानी की मूल्यवान उपकरन के नाम से जानते है l
उपकरण
जैसा की जो भी बड़े महंगे औजार होते है जैसा की
1. वर्नियर केलिपर 300 mm ,
2.वर्नियर हाइट गेज 300 mm ,
3. माइक्रो मीटर 0-25
4 . स्टैण्डर्ड लेवल
औजार
जिन औजार को काम में लिया जाता है जैसा की जो आम चलन में होते है उनको साधारण औजार के नाम से जानते है l जो आमतोर पर काम में लिए जाते है l
1 . फाइल फ्लेट 250 mm
2. स्टील रुल 300 mm
3. बेंच वाईस 150 mm
4. ट्राई स्क्वायर 150 mm
5 . फ्लैट चिजल 150 mm
6 .आउट साइड कैलीपर 150 mm
7 . इनसाइड कैलीपर 150 mm
8 . ओड़ लेग कैलीपर 150 mm
मशीन
जब हाथ के औजार के साथ मशीन के जरिये भी काम किया जाता है तो मशीन की जानकारी भी दी जाती है l जिससे की कारीगर किसी भी मशीन से काम कर सके l
1 . लेथ मशीन
2. CNC मशीन
3 . टूल होल्डर क्लैम्प
सावधानिया
जैसा की किसी भी मशीन को चलाने से पहले उसकी सम्पूर्ण जानकारी होना चाहिए साथ में उसके साथ में मिली निर्देशिका के जरिये भी जानकारी पढ़ना चाहिए
1 . सबसे पहले मशीन को चेक करना चाहिए की किसी तरह की कोई दुर्घटना तो पहले से नहीं हुई है l
2 . जैसा की मशीन के कटिंग करने वाले भाग सही तरह से लगे है या नहीं l
3 . किसी मशीन का कोई भी सेफ्टी कवर खुला तो नहीं है l
4 . मशीन का ओन ऑफ करने का स्विच चालू है या नहीं है l
5 . मशीन का ओइलिंग ग्रीसिंग अंत में कब हुआ था l
6 . किसी भी ऑपरेशन को करने से पहले बनने वाले पार्ट की ड्राइंग को सही तरह से पढ़ लेना चाहिए l
7 . टर्निंग करने से पहले काम में आने वाले कटाई करने वाले टूल को भी चेक करना चाहिए l
कार्य विधि
किसी भी मशीन के पार्ट को बनाने के लिए एक स्टेप वाइज वर्किंग मेथड की जरूरत होती है l
1 . सबसे पहले काम में ली जाने वाली मशीन की जानकारी होना चाहिए
2. सभी मशीन के रख रखाव व् मेंटिनेंस की भी जानकारी होना चाहिए l
3. ट्रेनी को अनुदेशक के जरिये सभी मशीनों को चलाने की ट्रेनिंग एक एक करके दी जाती है l
4 . कार्य को करने से पहले सभी तरह के उपाय जैसा की हाथो में दस्ताने आदि पहन लेना चाहिए l
5 . किसी भी जॉब को मशीनिंग करने से पहले अनुदेशक से आवश्यक दिशा निर्देश भी ले लेना चाहिए l
6 . मशीनिंग करते समय किसी भी तरह का वार्तालाप आपस में कारीगर को नहीं करना चाहिए l
7 . हेंड टूल से काम करने के बाद जॉब को मशीन से अच्छी तरह से फिनिश किया जाता है l
8 . मशीन के कटाई टूल से सामान रूप से कटिंग होनी चाहिए l
9 . कार्यशाला में काम के पूरा हो जाने पर प्रत्येक टूल को साफ करके सही जगह रखना चाहिए l
10 . उपकरण को भी उसके डिब्बे में साफ करके रखना चाहिए जिससे की उसकी शुध्धता बनी रह सके l
11 . मशीन से काम हो जाने के बाद उसको बंद करके साफ करके कवर से ढक देना चाहिए l
परिणाम ( RESULT )
वर्क शॉप में सभी तरह की मशीनों और औजारों की लिस्ट की जानकारी कामगार को होना चाहिए जिससे की कामगार आसानी से अपना काम कर सके l
प्रक्टिकल 3
सुरक्षा उपकरणों का परिचय एव उनका उपयोग
उद्देश्य – किसी भी वर्कशॉप में काम करने से पहले सभी उपकरण की जानकारी होना आवश्यक है l
वर्कशॉप में काम आने वाले आवश्यक उपकरण
1 . अग्नि शामक यन्त्र – जिसके जरिये किसी भी तरह की आग को आसानी से बुझाया जा सके l
2 . वर्क शॉप के सभी तरह के ले आउट व् सेफ्टी चार्ट l
3 . ग्लब्स
4. केप
5. चश्मा
6 . अप्रेन ( कारीगर की पोषक )
7 .शूज
8 . प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स ( जिसमे पट्टी ,खपची ,बीटादीन ,कैची ,चिमटी )
सावधानिया
1 . किसी भी वर्कशॉप में काम करने से पहले वहा पर लग रहे दिशा निर्देशों को देख लेना चाहिए l
2 . यह देख लेना चाहिए की वर्कशॉप में कितनी मशीन इलेक्ट्रिक से चलने वाली लगी है l
3. वर्कशॉप में काम करते समय सभी सुरक्षा के लिए जरुरी सामान को काम में लेना चाहिए l
4 . सभी मशीन को कवर से ढक कर रखना चाहिए l
5 . वर्कशॉप में अग्निशामक यंत्रो को बार बार एक्सपायर होने की दिनांक को चेक कर लेना चाहिए l
6 . किसी भी मशीन को बिना जानकारी के नहीं चलाना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
1 . किसी भी काम को करने से पहले अपने मशीन व् वर्कशॉप को सही तरह से जाँच लेता है l
2 . काम को शुरू वर्कशॉप की यूनिफार्म में ही करना चाहिए l
3 . हाथो को नुकसान से बचाने के लिए दस्ताने पहनने चाहिए l
4 . आँखों में किसी भी तरह की दुर्घटना न हो इसके लिए सेफ्टी गोगल को प्रयोग में लेना चाहिए l
5. सिर पर किसी भी तरह की चोट न लगे इसके लिए हेलमेट लगाना चाहिए l
6 . किसी भी वर्कशॉप में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स भी जरुरी होना चाहिए l
7 . किसी भी मशीन में होने वाली वायरिंग भी पूरी तरह से सुरक्षित होना चाहिए l
8 . कार्य क्षेत्र में मशीन में अधिक आवाज आने लगे तो उसकी ओइलिंग ग्रेसिंग करना चाहिए l
परिणाम ( result )
किसी भी किये जाने वाले काम जैसा की पार्ट आदि के बनाने का काम सफलता पूर्वक किया गया l
प्रक्टिकल 4
प्राथमिक उपचार का परिचय (Introduction of First Aid )
उद्देश्य – काम करते समय दुर्घटना ग्रस्त हुए व्यक्ति को प्राथमिक उपचार करना l
आवश्यक उपकरण/ सामग्री ( Essential Apparatus / Material )
किसी भी कारीगर की दुर्घटना होने पर सबसे पहले आस पास के हॉस्पिटल को सूचित करे l
किसी तरह की हड्डी टूटने की आशंका हो तो दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को सहारा देना चहिये l
चोट लगे स्थान से खून बहता है तो उस पर पट्टी बांधना चाहिए l
आंख में किसी भी तरह का कचरा चले जाने पर सफाई वाले स्थान पर जाकर पलक को पानी में बार बार खोलना चाहिए l
किसी भी कारीगर के इलेक्ट्रिक झटका लग जाने पर उसको कम्बल से ढक देना चाहिए l
आग से जले हुए श्रमिक को भी कम्बल से ढक देना चाहिए l
श्रमिक को खुली हवा आने देना चाहिए
साँस चल रही है या नहीं की जाँच भी दुर्घटना ग्रस्त स्थल पर श्रमिक को देखकर पता करना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
1. कोई भी कारीगर जिसके जिसको चोट लग जाती है तुरंत वर्क शॉप में प्राथमिक उपचार देना चाहिए l
2 . किसी भी तरह के घाव को नहीं छूना चाहिए जिससे की किसी तरह का इन्फेक्सन न फैले l
3 . सबसे पहले बने घाव से खून बह रहा हो तो उस पर पट्टी बांध देना चाहिए l
4 . स्पिरिट या डिटोल को भी पट्टी भिगोकर घाव पर लगाना चाहिए l
5 . कोई भी कारीगर का शरीर जल जाने पर उसको तुरंत पानी में डाल देना चाहिए l
6 . किसी भी श्रमिक को दुर्घटना के कारण साँस आना बंद हो जाए तो उसको तुरंत कृत्रिम सांस देना शुरू कर देना चाहिए l
7 . कारीगर का किसी भी बड़ी दुर्घटना से चोटिल हो जाये तो उसको तुरंत हॉस्पिटल ले जाना चाहिए l
परिणाम (RESULT )
इस तरह से वर्कशॉप में किसी भी दुर्घटना हुए व्यक्ति को प्राथमिक उपचार दे सकते है l
प्रैक्टिकल न 5
बिजली के साधनों का प्रचालन
उद्देश्य – वर्कशॉप में विधुतीक उपकरणों का प्रचालन जानकारी देना l
आवश्यक उपकरण / सामग्री Essential Apparatus / Material
केबिन
आई . सी .टी . पी. स्विच
एम् .सी .बी . स्विच
क्रिम्पिंग टूल
टेस्टर
पी.वी .सी . टेप
लॉन्ग नोज प्लायर
इलेक्ट्रीशियन नाइफ
वायर स्ट्रिपर
विधुत मीटर
सावधानिया / निर्देश ( precautions / instructions
किसी भी विधुत के उपकरण को चलाने से पहले चेक करना चाहिए की उनकी केबल पूरी तरह से ठीक है की नहीं l
मशीन को चलाने से पहले चेक करे की उसके आस पास पानी तो जमा नहीं हो गया है l
किसी भी समय पर फ्यूज उड़ जाने पर मोटर या मशीन के आस पास भी देख लेना चाहिए की उसकी केबल तो नहीं जल गयी है l
लोड वाली मशीन का कनेक्शन नई केबल के जरिये ही करे l
मशीन को ओपरेट करते समय हाथो पर पानी नहीं लगा होना चाहिए l
ट्यूब लाइट य बल्ब को भी सुखा कपड़ा लेकर ही उतारना चाहिए l
कार्य करते समय में स्विच को ऑफ कर देना चाहिए l
वर्क मेथड
किसी भी मशीन को चलाने से पहले जनच ले की उसकी बिजली सप्लाई चालू है की नहीं l
विधुत उपकरण को भी जांच ले की उसमे कोई टूट फूट तो नहीं हो रही है l
केबल में कोई भी कट आदि तो नहीं लगा है l
मशीन और रोशनी के लिए लगायी गयी विधुत लाइन अलग अलग होना चाहिए l
समय समय पर मशीन में किये गए विधुत कनेक्शन की लाइन को देखते रहना चाहिए जिससे की किसी तरह का कोई शोर्ट सर्किट न हो पाए l
सभी मशीनों पर अलग अलग लाइट की व्यवस्था होना चाहिए l
किसी भी वर्कशॉप में बिजली जाने पर विधुत की व्यवस्था को बनाये रखने के लिए जनरेटर की व्यवस्था होना चाहिए l
बिजली से चलने वाली सभी मशीनों की एर्थिंग की जानी चाहिए l
परिणाम Result
सभी ट्रेनी को वर्कशॉप में बिजली से जुड़े सभी मशीनों को चलाने की प्रक्टिकल जानकारी दी गयी l
प्रक्टिकल संख्या 6
अवशेषों ( कोटन ,चिप्स / बर्र ,मेटल आदि ) के निस्तारण की विधि ( Disposal of Waste Materal ( Cotton ,chips/Burns ,Metals Etc )
उद्देश्य ( Objective )
वर्कशॉप में किसी भी तरह के अवशेष जैसा की कॉटन ,चिप्स ,धातु बुरादा आदि को निस्तारण करने की जानकारी देना l
आवश्यक उपकरण / औजार
1 . साफ़ कॉटन
2 . वायर ब्रश
3 . डस्टबिन
4 . झाड़ू
सावधानिया ( Precautions / Instructions )
किसी भी वर्कशॉप में ” सुरक्षा हटी दुर्घटना घटी ” की बात लागु होती है l
जिसमे मशीनिष्ट वर्कशॉप में अधिकांश मशीनों से धातु का बुरादा चिप्स आता रहता है l
जिसको वायर ब्रश के जरिये समय समय पर कार्य समाप्ति के बाद साफ कर देना चाहिए l
किसी भी वर्कशॉप में तेल ,ग्रीस गिरा हुआ होता है तो उसको साफ कॉटन का कपडा लेकर सफाई कर देना चाहिए l
पानी आदि भी फैला होतो उसकी सफाई कर देना चाहिए l
जिस तरह का डस्टबिन को उसमे उसी तरह का कचरा डालना चाहिए l
कार्य विधि ( Working Method )
किसी भी वर्कशॉप में काम करने के समय यह देख लेना चाहिए की किसी तरह का कचरा यानी की अवशेष बना रहे है l
जिस तरह का अवशेष हो धातु या अधातु को कार्य करते समय भी मशीन से हटाते रहना चाहिए l
सबसे पहले जांचे की किसी भी तरह का कुलेंट मशीन से कार्य करते समय बाहर फैलना नहीं चाहिए l
किसी भी मशीन में लुब्रिकेंट देते समय भी वर्कशॉप पर नहीं फैलाना चाहिए
किसी कारन से फ़ैल जाता है तो उसको साफ कर लेना चाहिए l
मशिनिग के समय फैले चिप्स को भी वायर ब्रूस से साफ करते रहना चाहिए l
मशीन में किसी भी जॉब को लगाने से पहले व् बन जाने के बाद भी चिप्स और बरर को साफ करना चाहिए l
जिससे की किसी भी जॉब को मशीन में बांधते समय गलती न हो ऊँचा नीचा न रहे l
सभी तरह के अवशेष के लिए अलग अलग डस्टबिन बनाए जाने चाहिए l
किसी भी कारीगर को अपने जरिये ओपरेट होने वाली मशीन के प्रति जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए l
जिससे की मशीन व् उसके आस पास के क्षेत्र में किसी तरह का कोई भी अवशेष दिखाई दे तो सफाई कर्मचारी से साफ करा सके l
परिणाम ( Rresult )
इस तरह से वर्कशॉप में अवशेषों यानी की बचे हुए कचरे को क्लीन किया गया जिससे की वर्कशॉप को स्वच्छ बनाया जा सके l
प्रक्टिकल संख्या 7
सुरक्षा संकेतो की पहचान ( Identification of safty symbols )
उद्देश्य ( Objective )
किसी भी वर्कशॉप में काम करने से पहले सभी तरह के सुरक्षा चिन्हों की जानकारी लेना l
आवश्यक उपकरण / औजार
1.सभी तरह के संकेत चिन्हों को जानने के लिए चार्ट देखना l
2 . जिसमे सबसे पहले अनिवार्य संकेत का चार्ट बनाना l
3 . निसेधात्मक संकेतो का चार्ट बनाना l
4 . चेतावनी संकेतो का चार्ट बनाना l
5 . सूचनात्मक संकेतो का चार्ट बनाना l
सावधानिया ( precautions )
1 . किसी भी वर्कशॉप में संकेत चिन्हों को जानने के लिए श्रेणी के अनुसार लगाना चाहिए l
2 . व्यक्ति जो भी काम करता उसके अनुसार सुरक्षा संकेत चिन्ह चार्ट सके आस पास लगा होना चाहिए l
3. साथ ही उस मशीन विशेष पर काम करने वाला व्यक्ति उन सभी तरह के संकेत चिन्हों का जानकार भी होना चाहिए l
4 . वर्कशॉप में सभी सुरक्षा चिन्हों के अनुसार ही सुरक्षा मानको का पालन किया जाना चाहिए l
कार्य विधि ( Working Method )
किसी भी संकेत चिन्ह की पहचान दिए गए सुरक्षा संकेतो के जरिये करते है l
निषेधात्मक संकेत (Prohibition Symbols )
जिस तरह किसी काम को करने की मनाही हो उस धारणा को बताने के लिए ही निषेधात्मक संकेत (Prohibition Symbols ) का उपयोग किया जाता है l इस तरह के चिन्ह में आकार वृताकार होता है जिसमे लाल रंग का बोर्डर और क्रोस बार बना होता है l इसके साथ ही सफ़ेद बेक ग्राउंड पर काली आकृति से बनाये जाते है l इन चिन्ह के जरिये किसी भी कार्य विशेष को करने से मना किया जाता है l
जैसा की किसी भी कारीगर को रोजाना सुरक्षा के निर्देश नहीं दे सकते है इसके लिए कारीगरों को सुरक्षा से जुड़े चिन्ह बनाकर निर्देशित किया जाता है जिससे की कोई भी नया कारीगर काम करते समय भी उन निर्देशों को आसानी से समझ सके व् सुरक्षा के साथ में काम कर सके l इन संकेतो को नीली प्रष्ठ भूमि ( Blue background ) पर सफ़ेद संकेतो के द्वारा वृत के आकार में बनाया जाता है l
किसी भी खतरे होने की समभावना को जो चिन्ह बताये उनको चेतावनी चिन्ह के नाम से जाना जाता है l ये चिन्ह एक त्रिभुजाकार आकृति में बनाए जाते है जिनके अन्दर का रंग पीला होता है और काले रंग का चित्र बनाया जाता है
इस तरह के संकेत चिन्ह आकृति में वर्गाकार होते है इसको बनांते समय हरे रंग के बेक ग्राउंड पर सफ़ेद रंग की आकृति का बनाया जाता है या सफ़ेद रंग के बेक ग्राउंड पर लाल रंग से बनाया जाता है l इनमे अलग अलग सुचना को बताया जाता है l
किसी भी सुरक्षा चिन्ह जिनकी पहचान हो जाती है उनके श्रेणी को भी निर्धारित कर लिया जाता है l
किसी भी स्थान या सुविधा की जो सूचना दे सके ऐसे चिन्ह को सूचनात्मक चिन्ह के नाम से जाना जाता है l जैसा की ये संकेत वर्गाकार होते है इनके अन्दर का रंग हरे रंग का होता है जिस पर सफ़ेद रंग से आकृति को बनाया जाता है या फिर सफ़ेद रंग पर लाल रंग की आकृति को बनाया जाता है l इसके जरिये ही सभी सुचना को दर्शाया जाता है l
चित्र ——-
जिससे किसी भी घटना के होने पर सूचना के जरिये ही सुविधा ले सकते है इसके अलावा किस अनजान जगह पर भी मदद पा सकते है l
परिणाम ( Result )
मानको के आधार पर ही सभी तरह के संकेत बनाये जाते है जिससे की आवशयकता के अनुसार होने वाली दुर्घटना को रोका जा सके या किसी भी तरह की मदद की जा सके l
प्रक्टिकल न 8
अग्नि शामको का प्रयोग ( Use of Fire Extinguishers )
उद्देश्य ( Objective )
कार्यशाला ( workshop ) में आग लगने पर अग्नि शामको का प्रयोग किस तरह किया जाता है जानकारी देना l
आवश्यक उपकरण / औजार
अग्निशमन यन्त्र
A . इलेक्ट्रिक आग बुझाने के लिए
B . लकड़ी की आग बुझाने के लिए
C . तेल की आग बुझाने के लिए
D . गैस की आग बुझाने के लिए
सावधानिया ( Precautions )
किसी भी कारण जिससे आग लगने की संभावना हो को हो सके दूर कर देना चाहिए l
किस किस तरह से आग लग सकती है को भी वर्कशॉप में जानकारी जुटा लेना चाहिए l
वर्कशॉप में किस तरह के अग्निशमक का प्रयोग किया जा सकता है की जानकारी भी जुटा लेना चाहिए l
वर्कशॉप में लगे सभी अग्निशमक में कब कब गैस की रिफलिंग होनी है की जानकारी भी होना चाहिए l
किसी भी आग लगने वाले ज्वलन शील पदार्थ को वर्कशॉप में जमा नहीं करना चाहिए l
वेस्ट तेल ग्रीस को भी ज्यादा इक्कट्ठा नहीं होने देना चाहिए l
किसी भी तरह की आग लगने पर गैस व् लाइट को कट कर देना चाहिए l
साथ ही वर्कशॉप में रखे अग्निशमक से तुरत आग को बुझाने का प्रयास करना चाहिए l
किसी भी दुर्घटना से निपटने के लिए चेतावनी अलार्म भी बजना चाहिए l
आग से अधिक नुकसान होने की आशंका होने पर फायर ब्रिगेड को सूचित करना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
किसी भी तरह का कोई आग लगने का समाचार मिलने पर सभी कर्मचारियों को अलार्म आदि से सूचित कराना चाहिए l
इसके साथ ही संस्था के सभी गेटो को खुलवा देना चाहिए l
किस तरह से आग लगी है की जानकारी लेकर उसको बुझाने का सही उपाय करना चाहिए l
जिस प्रकार के अग्निशमक की जरूरत हो उसका प्रयोग तुरंत करना चाहिए l
यदि संस्था के बिजली या गैस सप्लाई की जानकारी हो तो उसको तुरंत काट देना चाहिए l
बिजली से आग लगने पर किसी को भी पानी नहीं डालने देना चाहिए l
इसके लिए ctc फायर एक्स्तिग्युषर का प्रयोग करना चाहिए l
तेल से लगी आग को भी पानी से नहीं बुझाना चाहिए जिससे कि आग अधिक फैले ना l
इसके लिए फोम टाइप का अग्निशामक को काम में लिया जाता है l
अग्शामक यन्त्र को सही तरके से शील को तोड़कर प्रयोग में लाना चाहिए l
कोई कार्मिक आग से जल गया है तो उसको तुरंत प्राथमिक उपचार देना चाहिए l
जैसा की आग्निशामक यन्त्र को प्रयोग में लाने पर स्प्रे के साथ पोडर निकलता है उसको लग रही आग पर डालना चाहिए
जब तक आग बुझ न जाए आग को बुझाने वाले अग्निशामक को चलाये रखना चाहिए l
कार्यशाला में आग बुझाने के लिए मिटटी से भरी बाल्टियो को भी रखना चाहिए l
आग के चित्र —————
परिणाम ( Result )
इस तरह से किसी भी वर्कशॉप में लगी आग को फायर एक्स्तिग्युषर को प्रयोग में लाकर बुझाया जा सकता है l
फिटिंग शॉप ( Fitting Shop )
प्रक्टिकल संख्या 1
वांछित विशिष्टियो के अनुसार औजार और उपकरणों की जाँच करना l
उद्देश्य ( Objective )
किसी भी जॉब की मार्किंग व् कटिंग के लिए आवश्यक औजार व् उपकरणों की पहचान करना l
आवश्यक औजार और उपकरण
जॉब या कार्य खंड
ट्राय स्क्वायर
सरफेस प्लेट
स्टील रुल
हेक्सा विथ ब्लेड
मार्किंग ऑफ टेबल
छेनी
स्क्राईबर
स्पेनर्स
बेंच वाईस
हेमर
पेचकस
फाइल
कॉम्बिनेशन प्लायर
डिवाईडर
वर्नियर केलिपर
पंच
ड्रिल मशीन
बोल पेन हेमर
वी ब्लॉक
सेंटर पंच
सावधानिया ( Precautions )
किसी भी जॉब को बनाते समय उसकी आवशयकता के अनुसार ही औजार और उपकरणों का उपयोग किया जाता है l
किसी भी जॉब पर मार्किंग करने लिए पहले उस पर कोटिंग कर लेना चाहिए l
जॉब की कोटिंग पर मार्किंग किया जाना चाहिए l
जिसके बाद ही जॉब की पंचिंग करना चाहिए l
पंचिंग को पक्का करने के लिए डॉट पंच और सेंटर पंच का प्रयोग करना चाहिए l
जोब पर मार्किंग करने से पहले उसकी लम्बाई और चोडाई को भी चेक कर लेना चाहिए l
किसी भी जोब को वाईस में पूरी तरह टाइट करके बांधना चाहिए l
हेक्सा में ब्लेड को बांधते समय दांते हमेशा आगे की और झुके रहना चाहिए l
हेक्सा से कटिंग के समय कुलेंट को भी डालते रहना चाहिए l
कार्य विधि ( Working Method )
सबसे पहले जॉब को बनाने के लिए किस किस औजार और उपकरण की जरूरत होगी उसका चयन कर लेना चाहिए l
किसी भी वर्कशॉप में काम करने के लिए एक स्टैण्डर्ड उपकरणों की जरूरत होती है l
जैसा की मापक टूल ,हेंड टूल , मार्किंग टूल व् फिटिंग टूल का प्रयोग करते है l
जैसा की स्टैण्डर्ड स्टील रुल का मापक टूल के रूप में काम में लेते है जिसकी लम्बाई 6 ” से 48 ” और चोडाई 3/4″ या 1 ” होती है किसी भी जॉब को नापने के काम में लिया जाता है l
किसी भी जॉब की समतलता की जाँच और वह 90 डिग्री में बना है की नहीं की जाँच के लिए ट्राई स्क्वायर का प्रयोग किया जाता है इसके ब्लेड के लम्बाई के आधार पर इसका साइज़ लिया जाता है l
जब किसी भी जॉब पर कोई भी वृताकार आकृति बनाई जाती है तो स्प्रिंग डिवाईडर का प्रयोग किया जाता है यह भी हाई कार्बन स्टील का बना होता है l इसको मार्किंग टूल के रूप में जाना जाता है l
नुकीले सिरे वाला औजार जिसके पॉइंट को ग्राइंड करके 12 डिग्री से 15 डिग्री में बनाया जाता है जिसके जरिये किसी भी धातु के जॉब पर लाइन को खीचा जाता है l इसलिए इसको मार्किंग टूल की श्रेणी में भी रखा जाता है l ये हाई कार्बन स्टील के बनाए जाते है l
जब मार्किंग के समय किसी भी जॉब पर लाइन खिची जाती है जिसको पक्का करने के लिए जिस टूल को काम में लिया जाता है जो की हाई कार्बन स्टील का बना होता है जिसके पॉइंट का अन्गल30 से 60 डिग्री होता है l
किसी भी गोलाकार जॉब की माप लेने के काम में लिया जाता है 150 mm से 300 mm तक के साइज़ में पाए जाते है l इसको माइल्ड स्टील से बनाया जाता है l इसकी दोनों टाँगे अन्दर की और मुड़ी होती है l
किसी भी जॉब की अन्दर की माप लेने के लिए इसका उपयोग किया जाता है जैसा की पाइप के अन्दर का व्यास की माप इससे ले सकते है l इसकी दोनों टाँगे बाहर की और मुड़ी होती है l इसको भी माइल्ड स्टील से बनाया जाता है l
वी आकृति का मार्किंग औजार है जो की कास्ट आयरन का बना होता है जिसके स्बीच में वी आकृति का खांच बना होता है जीकी सहायता से गोल जॉब की मार्किंग की जाती है l
किसी भी वर्कशॉप में एक प्लेट मार्किंग टेबल पर राखी होती है जिसका नाम सरफेस प्लेट होता है जिस पर रखकर किसी भी जॉब की मार्किंग की जाती है l यह कास्ट आयरन की बनी होती है जिसकी लम्बाई 7.5 सेमी और मोटाई 2.5 सेमी होती है l
जैसा की आवशयकता के अनुसार अनेको आकृति के हेक्सा फ्रेम होते है लेकिन साधारणतया सी आकृति का हेक्सा फ्रेम काम में लिया जाता है जिसमे काम यानी की काटी जाने वाली धातु के अनुसार हेक्सा ब्लेड को काम में लिया जाता है l इसके आगे में विंग नट लगा होता है और पीछे की और हेंडल लगा होता है l
धातु को अल्प मात्रा में काटने और खुरदरी सतह को समतल और स्मूथ करने के लिए जिस औजार का कारीगर उपयोग करते है फाइल कहलाती है l यह कास्ट स्टील को ड्राप फोर्ज करके बनाई जाती है l जॉब पर आगे पीछे रगड़कर इसका उपयोग किया जाता है l
किसी भी धातु के किनारे जब ऊँचे नीचे हो जिसको बराबर करने के लिए जॉब से धातु को टुकड़े टुकड़े करके काटा जाता है जिस औजार से जॉब से धातु को हटाया जाता है उसको चीजल कहा जाता है इसका आगे का सिरा एक अगल विशेष में कार्य के अनुसार बनाया जाता है जिससे की जॉब धातु को आसानी से हटाया जा सके l
जब भी किसी मशीन को खोला का कसा जाता है तो जिस औजार के जरिये नट बोल्ट को खोला कसा जाता है उसको स्पेनर नाम दिया गया है जिसका साइज़ व् आकार अलग अलग होता है l
किसी भी जॉब पर जो भी ठोकने पीटने का काम किया जाता है जिससे की जॉब पर आवशयकता के अनुसार आघात पहुच सके हेमर या हथोडा कहा जाता है l कार्य के अनुसार ये भी कई तरह के होते है l
जब किसी भी जॉब पर कोई भी काटने या घिसने का काम किया जाता है तो जॉब को हिलने से रोकने के लिए जिस साधन को काम में लिया जाता है बेंच वाईस कहा जाता है जिसके दो जबड़ो में जॉब को बांधा जाता है l ये कास्ट आयरन का बना होता है l
जब किसी भी जॉब में कोई सुराख़ किया जाता है जिस मशीन के जरिये इस तरह के छेद किया जाता है उसको पोर्टेबल ड्रिल मशीन के नाम से जाना जाता है l जिसको विधुत के जरिये चलाया जाता है जिसके एक सिरे पर ड्रिल को कसा जाता है l
जिस तरह किसी काम को करने की मनाही हो उस धारणा को बताने के लिए ही निषेधात्मक संकेत (Prohibition Symbols ) का उपयोग किया जाता है l इस तरह के चिन्ह में आकार वृताकार होता है जिसमे लाल रंग का बोर्डर और क्रोस बार बना होता है l इसके साथ ही सफ़ेद बेक ग्राउंड पर काली आकृति से बनाये जाते है l इन चिन्ह के जरिये किसी भी कार्य विशेष को करने से मना किया जाता है l
जैसा की किसी भी कारीगर को रोजाना सुरक्षा के निर्देश नहीं दे सकते है इसके लिए कारीगरों को सुरक्षा से जुड़े चिन्ह बनाकर निर्देशित किया जाता है जिससे की कोई भी नया कारीगर काम करते समय भी उन निर्देशों को आसानी से समझ सके व् सुरक्षा के साथ में काम कर सके l इन संकेतो को नीली प्रष्ठ भूमि ( Blue background ) पर सफ़ेद संकेतो के द्वारा वृत के आकार में बनाया जाता है l
किसी भी खतरे होने की समभावना को जो चिन्ह बताये उनको चेतावनी चिन्ह के नाम से जाना जाता है l ये चिन्ह एक त्रिभुजाकार आकृति में बनाए जाते है जिनके अन्दर का रंग पीला होता है और काले रंग का चित्र बनाया जाता है
इस तरह के संकेत चिन्ह आकृति में वर्गाकार होते है इसको बनांते समय हरे रंग के बेक ग्राउंड पर सफ़ेद रंग की आकृति का बनाया जाता है या सफ़ेद रंग के बेक ग्राउंड पर लाल रंग से बनाया जाता है l इनमे अलग अलग सुचना को बताया जाता है l
किसी भी सुरक्षा चिन्ह जिनकी पहचान हो जाती है उनके श्रेणी को भी निर्धारित कर लिया जाता है l
किसी भी स्थान या सुविधा की जो सूचना दे सके ऐसे चिन्ह को सूचनात्मक चिन्ह के नाम से जाना जाता है l जैसा की ये संकेत वर्गाकार होते है इनके अन्दर का रंग हरे रंग का होता है जिस पर सफ़ेद रंग से आकृति को बनाया जाता है या फिर सफ़ेद रंग पर लाल रंग की आकृति को बनाया जाता है l इसके जरिये ही सभी सुचना को दर्शाया जाता है l
चित्र ——-ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
जिससे किसी भी घटना के होने पर सूचना के जरिये ही सुविधा ले सकते है इसके अलावा किस अनजान जगह पर भी मदद पा सकते है l
परिणाम ( Result )
मानको के आधार पर ही सभी तरह के संकेत बनाये जाते है जिससे की आवशयकता के अनुसार होने वाली दुर्घटना को रोका जा सके या किसी भी तरह की मदद की जा सके l
प्रक्टिकल न 8
अग्नि शामको का प्रयोग ( Use of Fire Extinguishers )
उद्देश्य ( Objective )
कार्यशाला ( workshop ) में आग लगने पर अग्नि शामको का प्रयोग किस तरह किया जाता है जानकारी देना l
किसी भी कारण जिससे आग लगने की संभावना हो को हो सके दूर कर देना चाहिए l
किस किस तरह से आग लग सकती है को भी वर्कशॉप में जानकारी जुटा लेना चाहिए l
वर्कशॉप में किस तरह के अग्निशमक का प्रयोग किया जा सकता है की जानकारी भी जुटा लेना चाहिए l
वर्कशॉप में लगे सभी अग्निशमक में कब कब गैस की रिफलिंग होनी है की जानकारी भी होना चाहिए l
किसी भी आग लगने वाले ज्वलन शील पदार्थ को वर्कशॉप में जमा नहीं करना चाहिए l
वेस्ट तेल ग्रीस को भी ज्यादा इक्कट्ठा नहीं होने देना चाहिए l
किसी भी तरह की आग लगने पर गैस व् लाइट को कट कर देना चाहिए l
साथ ही वर्कशॉप में रखे अग्निशमक से तुरत आग को बुझाने का प्रयास करना चाहिए l
किसी भी दुर्घटना से निपटने के लिए चेतावनी अलार्म भी बजना चाहिए l
आग से अधिक नुकसान होने की आशंका होने पर फायर ब्रिगेड को सूचित करना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
किसी भी तरह का कोई आग लगने का समाचार मिलने पर सभी कर्मचारियों को अलार्म आदि से सूचित कराना चाहिए l
इसके साथ ही संस्था के सभी गेटो को खुलवा देना चाहिए l
किस तरह से आग लगी है की जानकारी लेकर उसको बुझाने का सही उपाय करना चाहिए l
जिस प्रकार के अग्निशमक की जरूरत हो उसका प्रयोग तुरंत करना चाहिए l
यदि संस्था के बिजली या गैस सप्लाई की जानकारी हो तो उसको तुरंत काट देना चाहिए l
बिजली से आग लगने पर किसी को भी पानी नहीं डालने देना चाहिए l
इसके लिए ctc फायर एक्स्तिग्युषर का प्रयोग करना चाहिए l
तेल से लगी आग को भी पानी से नहीं बुझाना चाहिए जिससे कि आग अधिक फैले ना l
इसके लिए फोम टाइप का अग्निशामक को काम में लिया जाता है l
अग्शामक यन्त्र को सही तरके से शील को तोड़कर प्रयोग में लाना चाहिए l
कोई कार्मिक आग से जल गया है तो उसको तुरंत प्राथमिक उपचार देना चाहिए l
जैसा की आग्निशामक यन्त्र को प्रयोग में लाने पर स्प्रे के साथ पोडर निकलता है उसको लग रही आग पर डालना चाहिए
जब तक आग बुझ न जाए आग को बुझाने वाले अग्निशामक को चलाये रखना चाहिए l
कार्यशाला में आग बुझाने के लिए मिटटी से भरी बाल्टियो को भी रखना चाहिए l
आग के चित्र —————
परिणाम ( Result )
इस तरह से किसी भी वर्कशॉप में लगी आग को फायर एक्स्तिग्युषर को प्रयोग में लाकर बुझाया जा सकता है l
फिटिंग शॉप ( Fitting Shop )
प्रक्टिकल संख्या 1
वांछित विशिष्टियो के अनुसार औजार और उपकरणों की जाँच करना l
उद्देश्य ( Objective )
किसी भी जॉब की मार्किंग व् कटिंग के लिए आवश्यक औजार व् उपकरणों की पहचान करना l
आवश्यक औजार और उपकरण
जॉब या कार्य खंड
ट्राय स्क्वायर
सरफेस प्लेट
स्टील रुल
हेक्सा विथ ब्लेड
मार्किंग ऑफ टेबल
छेनी
स्क्राईबर
स्पेनर्स
बेंच वाईस
हेमर
पेचकस
फाइल
कॉम्बिनेशन प्लायर
डिवाईडर
वर्नियर केलिपर
पंच
ड्रिल मशीन
बोल पेन हेमर
वी ब्लॉक
सेंटर पंच
सावधानिया ( Precautions )
किसी भी जॉब को बनाते समय उसकी आवशयकता के अनुसार ही औजार और उपकरणों का उपयोग किया जाता है l
किसी भी जॉब पर मार्किंग करने लिए पहले उस पर कोटिंग कर लेना चाहिए l
जॉब की कोटिंग पर मार्किंग किया जाना चाहिए l
जिसके बाद ही जॉब की पंचिंग करना चाहिए l
पंचिंग को पक्का करने के लिए डॉट पंच और सेंटर पंच का प्रयोग करना चाहिए l
जोब पर मार्किंग करने से पहले उसकी लम्बाई और चोडाई को भी चेक कर लेना चाहिए l
किसी भी जोब को वाईस में पूरी तरह टाइट करके बांधना चाहिए l
हेक्सा में ब्लेड को बांधते समय दांते हमेशा आगे की और झुके रहना चाहिए l
हेक्सा से कटिंग के समय कुलेंट को भी डालते रहना चाहिए l
कार्य विधि ( Working Method )
सबसे पहले जॉब को बनाने के लिए किस किस औजार और उपकरण की जरूरत होगी उसका चयन कर लेना चाहिए l
किसी भी वर्कशॉप में काम करने के लिए एक स्टैण्डर्ड उपकरणों की जरूरत होती है l
जैसा की मापक टूल ,हेंड टूल , मार्किंग टूल व् फिटिंग टूल का प्रयोग करते है l
जैसा की स्टैण्डर्ड स्टील रुल का मापक टूल के रूप में काम में लेते है जिसकी लम्बाई 6 ” से 48 ” और चोडाई 3/4″ या 1 ” होती है किसी भी जॉब को नापने के काम में लिया जाता है l
किसी भी जॉब की समतलता की जाँच और वह 90 डिग्री में बना है की नहीं की जाँच के लिए ट्राई स्क्वायर का प्रयोग किया जाता है इसके ब्लेड के लम्बाई के आधार पर इसका साइज़ लिया जाता है l
चित्र ट्राई स्क्वायर ——–ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
जब किसी भी जॉब पर कोई भी वृताकार आकृति बनाई जाती है तो स्प्रिंग डिवाईडर का प्रयोग किया जाता है यह भी हाई कार्बन स्टील का बना होता है l इसको मार्किंग टूल के रूप में जाना जाता है l
नुकीले सिरे वाला औजार जिसके पॉइंट को ग्राइंड करके 12 डिग्री से 15 डिग्री में बनाया जाता है जिसके जरिये किसी भी धातु के जॉब पर लाइन को खीचा जाता है l इसलिए इसको मार्किंग टूल की श्रेणी में भी रखा जाता है l ये हाई कार्बन स्टील के बनाए जाते है l
जब मार्किंग के समय किसी भी जॉब पर लाइन खिची जाती है जिसको पक्का करने के लिए जिस टूल को काम में लिया जाता है जो की हाई कार्बन स्टील का बना होता है जिसके पॉइंट का अन्गल30 से 60 डिग्री होता है l
किसी भी गोलाकार जॉब की माप लेने के काम में लिया जाता है 150 mm से 300 mm तक के साइज़ में पाए जाते है l इसको माइल्ड स्टील से बनाया जाता है l इसकी दोनों टाँगे अन्दर की और मुड़ी होती है l ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
किसी भी जॉब की अन्दर की माप लेने के लिए इसका उपयोग किया जाता है जैसा की पाइप के अन्दर का व्यास की माप इससे ले सकते है l इसकी दोनों टाँगे बाहर की और मुड़ी होती है l इसको भी माइल्ड स्टील से बनाया जाता है l
वी आकृति का मार्किंग औजार है जो की कास्ट आयरन का बना होता है जिसके स्बीच में वी आकृति का खांच बना होता है जीकी सहायता से गोल जॉब की मार्किंग की जाती है l
चित्र ——ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
किसी भी वर्कशॉप में एक प्लेट मार्किंग टेबल पर राखी होती है जिसका नाम सरफेस प्लेट होता है जिस पर रखकर किसी भी जॉब की मार्किंग की जाती है l यह कास्ट आयरन की बनी होती है जिसकी लम्बाई 7.5 सेमी और मोटाई 2.5 सेमी होती है l
जैसा की आवशयकता के अनुसार अनेको आकृति के हेक्सा फ्रेम होते है लेकिन साधारणतया सी आकृति का हेक्सा फ्रेम काम में लिया जाता है जिसमे काम यानी की काटी जाने वाली धातु के अनुसार हेक्सा ब्लेड को काम में लिया जाता है l इसके आगे में विंग नट लगा होता है और पीछे की और हेंडल लगा होता है l
चित्र ———ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
धातु को अल्प मात्रा में काटने और खुरदरी सतह को समतल और स्मूथ करने के लिए जिस औजार का कारीगर उपयोग करते है फाइल कहलाती है l यह कास्ट स्टील को ड्राप फोर्ज करके बनाई जाती है l जॉब पर आगे पीछे रगड़कर इसका उपयोग किया जाता है l
चित्र ———–ट्रेड परिचय ( जानकारी )| Trade Introduction |
किसी भी धातु के किनारे जब ऊँचे नीचे हो जिसको बराबर करने के लिए जॉब से धातु को टुकड़े टुकड़े करके काटा जाता है जिस औजार से जॉब से धातु को हटाया जाता है उसको चीजल कहा जाता है इसका आगे का सिरा एक अगल विशेष में कार्य के अनुसार बनाया जाता है जिससे की जॉब धातु को आसानी से हटाया जा सके l
जब भी किसी महीन को खोला का कसा जाता है तो जिस औजार के जरिये नट बोल्ट को खोला कसा जाता है उसको स्पेनर नाम दिया गया है जिसका साइज़ व् आकार अलग अलग होता है l
किसी भी जॉब पर जो भी ठोकने पीटने का काम किया जाता है जिससे की जॉब पर आवशयकता के अनुसार आघात पहुच सके हेमर या हथोडा कहा जाता है l कार्य के अनुसार ये भी कई तरह के होते है l
जब किसी भी जॉब पर कोई भी काटने या घिसने का काम किया जाता है तो जॉब को हिलने से रोकने के लिए जिस साधन को काम में लिया जाता है बेंच वाईस कहा जाता है जिसके दो जबड़ो में जॉब को बांधा जाता है l ये कास्ट आयरन का बना होता है l
जब किसी भी जॉब में कोई सुराख़ किया जाता है जिस मशीन के जरिये इस तरह के छेद किया जाता है उसको पोर्टेबल ड्रिल मशीन के नाम से जाना जाता है l जिसको विधुत के जरिये चलाया जाता है जिसके एक सिरे पर ड्रिल को कसा जाता है l