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मशीनिस्ट के फिटिंग शॉप के प्रक्टिकल
प्रक्टिकल संख्या 2
अनुप्रयोगों के अनुसार पदार्थो का चयन ( Material selection as per Applications )
उद्देश्य ( Objective )
वर्कशॉप में जॉब के अनुसार धातु का चयन करना l
आवश्यक उपकरण या मेटेरियल
- माइल्ड स्टील
- कास्ट आयरन या डलवा लोहा
- एलुमिनियम
- स्टेनलेस स्टील
- पिटवा लोहा
सावधानिया ( Precautions )
- सभी ट्रेनी को धातु के भोतिक गुणों की जानकारी होना चाहिए l
- जिससे की आसानी से किसी भी धातु को पहचाना जा सके l
- जॉब की आवशयकता के अनुसार ही धातु का चयन करना चाहिए l
- जॉब के अनुसार ही कटिंग टूल को काम में लेना चाहिए l
- जॉब पर लगे धातु को सही तरह से वायर ब्रश से साफ करना चाहिए l
- किसी भी के यांत्रिक गुणों की जानकारी मशीनिंग करने से पहले ले लेना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
- सबसे पहले जानकारी लेना चाहिए की काम किये जाने वाला पदार्थ कोनसा है l
- जैसा की अगर कास्ट आयरन है तो उससे बनाये जाने वाले जॉब में बेसिक पार्ट ,पाइप ,बीमा ,फाउंडेशन ,
- यदि अधिक कठोर लोहा जैसा की काम में पिटवा लोहा ले रहे है तो उस्ससे औजार ,नट बोल्ट , रिवेट , किल आदि को बनाया जाता है l
- धातु जैसा की लोहे में कार्बन मात्रा बढ़ने से मजबूती बढती जाती है को जॉब के अनुसार काम में लेना चाहिए l
- कुछ धातु जिन पर वातावरण से प्रभावित होकर जंग लगने का डर रहता है को पोलिस किया जाता है जैसा की जिंक कोटिंग क्रिया l
- पीतल और एलुमिनियम नर्म धातु होने के कारण बर्तन व् तार बनाया जाता है l
- इसके आलावा जिस जगह अधिक मजबूती की जरूरत होती है वहा पर हाई कार्बन स्टील को काम में लिया जाता है l न
- जिससे की बनाया जाने वाला जॉब जल्दी से घिसकर ख़राब न हो पाए l
परिणाम ( Result )
इस तरह से कार्य के आधार पर धातु का चयन करके ही किसी भी जॉब को आसानी से अधिक समय तक काम में आने वाला बनाया जा सकता है l
प्रक्टिकल न 3
जंग लगी धातु का आँखों से जांचना ( Visual Inspection of Raw Material For Rusting ( corrosion )
उद्देश्य ( Objective )
किसी जॉब की वर्कशॉप में जंग लगने पर देख कर कैसे जाँच की जाती है l
आवश्यक उपकरण / मेटेरियल
- कास्ट आयरन
- पिटवा लोहा
- माइल्ड स्टील
- एलुमिनियम
सावधानिया ( precautions )
- किसी भी जॉब जो लोहे का हो जंग लगने से बचाने के लिए पानी से भीगने से बचाना चाहिए l
- लोहे की गुणवता को चेक करके ही खरीदना चाहिए l
- समय समय पर जॉब को कपडे से साफ करना चाहिए l
- जंग लगने का खतरा हो तो जॉब पर हल्का तेल परत लगा देना चाहिए l
- खुले वातावरण में जॉब को रखने से बचना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
- किसी भी वर्कशॉप की सफाई समय समय पर करते रहना चाहिए जिससे उन पर जंग न लग पाए l
- काम में लिए औजार को तेल से साफ करके कपडे से पोछकर रखना चाहिए l
- किसी भी लोहे में जंग लगने की संभावना हो तो उसके ऊपर टिन या जिंक की कोटिंग कर देना चाहिए l
- लोहे के जॉब जिन पर हल्का जंग लग गया हो ऐब्री पेपर से साफ करके हल्की ख़राब आयल की परत लगा देना चाहिए l
- इस तरह से हम किसी भी वर्कशॉप में जॉब पर लगने वाले जंग यानी की कोरोजन का आँखों देखा निरिक्षण करते है l
परिणाम ( Result )
इस तरह से किसी भी जॉब पर जंग लगने या न लगने का आँखों देखा प्रक्टिकल करते है l
प्रक्टिकल न 4
दी गयी विमाओ के अनुसार आउट लाइन को मार्क करना तथा iti हेक्साइंग करना l ( Marking Outline and Hacksawing According to given dimensions )
उद्देश्य ( Objective )
किसी जॉब पर दी गयी माप की आउट लाइन की मार्किंग करना और जॉब पर हेक्साइंग का प्रैक्टिस करना l
आवश्यक उपकरण / मटेरियल
- आउट साइड कैलीपर
- स्टील रुल
- बाल पेन हेमर
- हेक्सा फ्रेम ब्लेड के साथ
- बेंच वाईस
- इनसाइड केलिपर
- चौक पौडर
- सरफेस प्लेट
- माइल्ड स्टील
- फलेट फाइल
- डॉट पंच
- स्वच्छ कपड़ा
- ट्राई स्क्वायर
- स्क्राइबर
- ओड लेग कैलीपर
सावधानिया ( Precaution )
- किसी भी जॉब पर मार्किंग से पहले जॉब को या तो राईट एंगल में बना लेना चाहिए l
- या किसी भी जॉब पर उसका सेंटर ले लेना चाहिए l
- जॉब पर मार्किंग करने के लिए चोक को गिला करके हल्की परत लगाना चाहिए l
- जब चोक सुख जाए तो उसके ऊपर ओड लेग कैलीपर से माप को भरकर चाप लगाना चाहिए l
- जिस पर लगी चाप को डॉट पंच से सावधानी पूर्वक पक्का करना चाहिए l
- किसी भी पंच को लाइन के बीचो बीच में ही मारना चाहिए l
- हेक्सा में भी भी ब्लेड को सही बांधना चाहिए l
- जॉब को हेक्सा से काटते समय ब्लेड के दांते विंग नट की और ही झुका होना चाहिए l
- जॉब को काटते समय पानी में कपडा भिगोकर कटिंग वाले भाग पर डालते रहना चाहिए
- जिससे की ब्लेड के दांते जल्दी नहीं घिसेगे और जॉब भी फिनिशिंग के साथ में कटेगा l
कार्य विधि ( working method )
- सभी काम में आने वाले औजारों को वर्कशॉप में बेंच पर रख लेना चाहिए l
- सबसे पहले जॉब को काटने के लिए मेटल को स्टील रुल से मापते है और scriber से मार्क कर देते है l
- मार्क आसानी से हो इसके लिए गिले चोक की एक परत लगा देते है l
- scriber से भारी माप को मेटल पर मार्क करते है l
- मार्किंग राईट एंगल की सहायता से करते है l
- मार्किंग को पक्का dot पंच से करते है l
- इसके बाद में हेक्सा ब्लेड के फ्रेम में मेटल के अनुसार हेक्सा ब्लेड को बाँधा जाता है l
- जिसके जरिये वाईस में बंधे जॉब को पानी डालते हुए काटते है l
- कट की सुरुवात के लिए फाइल से मार्क कर लेते है l
- जब मेटल कटने का अंतिम छोर आ जाए तो हेक्सा के स्ट्रोक को कम कर देना चाहिए l
- जब मेटल कट जाता है तो उसकी माप को steel rule की सहायता से जाँच जाता है l
- साथ ही ट्राई स्क्वायर से भी जॉब सही कटा है या नहीं चेक कर लिया जाता है l
परिणाम ( Result )
इस तरह दी गयी विमाओ के अनुसार आउट लाइन को मार्क करना तथा हेक्साइंग करना सिखा गया l
प्रक्टिकल न 5
अलग अलग धातु जॉब की अलग अलग भागो की हेक्साइंग करना l ( Hacksawing of different sections of different types metal )
उद्देश्य ( Objective )
किसी भी जॉब के विभन्न भागो की हेक्साइंग करना l
आवश्यक औजार या मेटेरियल
- हेक्सा फ्रेम विथ ब्लेड 250 mm
- मार्किंग मिडिया
- डॉट पंच
- आउट साइड कैलीपर
- स्टील रुल
- बाल पेन हेमर
- बेंच वाईस
- इनसाइड केलिपर
- चौक पौडर
- सरफेस प्लेट
- माइल्ड स्टील
- फलेट फाइल
- डॉट पंच
- स्वच्छ कपड़ा
- ट्राई स्क्वायर
- स्क्राइबर
- ओड लेग कैलीपर
सावधानिया ( precautions )
- किसी भी औजार के तेल लगा नहीं होना चाहिए l
- किसी भी मेटल पर मार्किंग मिडिया की हल्की परत ही लगाना चाहिए l
- हेक्सा में ब्लेड को सही तरह से टाइट करना चाहिए l
- जॉब पर मार्किंग को पंच से पक्का कर लेना चाहिए l
कार्य विधि ( WORKING METHOD )
- किसी भी जॉब पर सबसे पहले मार्किंग की जाती है l
- जिसके बाद में पंच से की गयी मार्किंग को पक्का करना चाहिए l
- जब मार्किंग पक्की हो जाए तो जॉब की कटिंग की जाती है l
- इसके लिए जॉब मेटल के अनुसार हेक्सा ब्लेड को लिया जाता है l
- जैसा की जॉब को बेंच वाइस में कस कर बांधा जाता है l
- जिसके बाद में जॉब की कटिंग वाली मार्किंग को देखा जाता है l
- जहा से जॉब की कटिंग की जाती है उसके ऊपरी भाग पर एक कट रेती से बनाया जाता है l
- जिसमे हेक्सा की ब्लेड को चलाया जाता है पानी भी कटिंग के साथ में डाला जाता है l
- कटिंग के साथ साथ जॉब मार्किंग लाइन पर ही कट रहा है या नहीं भी जांचते है जिससे की जॉब सही सही मार्किंग के अनुसार ही कटे l
- किसी भी जॉब को हेक्सा से काटते समय आगे के स्ट्रोक में दबाव देते है व् वापस लेते समय दबाव को हटा लेते है l
- जिससे जॉब काटते समय हेक्सा ब्लेड के टूटने की सम्भावना कम हो जाती है l
- जब जॉब के काटने का अंतिम छोर आ जाए तो इसके स्ट्रोक धीरे कर लेना चाहिए l
- जॉब के काटने पर बने हुए बर्र को भी फ्लैट फाइल से साफ कर लेना चाहिए l
परिणाम (Result )
इस तरह से एक जॉब के विभिन्न भागो की हेक्सा से कटिंग कर सकते है l
प्रक्टिकल न 6
समतल सतहों पर चिपिंग करना ( Chipping On flat surface )
उद्देश्य ( Objective )
किसी जॉब की समतल सतह पर चिपिंग करना l
आवश्यक औजार
- चीजेल
- बेंच वाईस
- हेमर
- चिपिंग टूल
- अन्वील
सावधानिया ( Precaution )
- किसी भी जॉब की चिपिंग करना हो तो सबसे पहले फ्लैट चीजेल लेगे जिसका पॉइंट अन्गल सही ग्राइंड किया गया हो l
- काम में लेने वाले का हेड फैला हुआ नहीं हो यानी की मशरूम जैसा न बना हो l
- यदि चीजेल हेड मशरूम हो तो उसको ग्राइंड करके सही कर लेना चाहिए जिससे की हाथ चोटिल न हो पाए l
- चिपिंग के समय गोगल पहने होना चाहिए l
- जॉब की जिस सर्फेस पर चिपिंग करना है सही तरीके से वाईस में बंधा होना चाहिए l
- हेमर की चोट को अधिक तेजी से नहीं मारना चाहिए l
कार्य विधि ( Work method )
- किसी भी जॉब जिस पर काम करना होता है उसको सबसे पहले बेंच वाईस में कसकर पकड़ा जाता है l
- उसके बाद जॉब के हाई स्पॉट्स जिस पर चिपिंग करना होता है पर चिजल को तिरछा लगाकर चोट मारते है l
- जिससे चिप्स के रूप में मेटेरियल हटने लगता है l
- जैसा की धीरे धीरे चोट मारते है उसी के अनुसार जॉब का मेटेरियल भी हटने लग जाता है l
- कार्य के अनुसार चिपिंग टूल का प्रयोग करते है l
- जिस मेटल पर चिपिंग करनी हो उसके अनुसार ही चिजल को लेते है l
- अधिक मात्रा में मेटल को हटाने के लिए चिपिंग का उपयोग किया जाता है l
परिणाम ( Result )
इस तरह से किसी जॉब की चिजल के जरिये चिपिंग की गयी l
प्रक्टिकल न 7
छेनी के विभन्न कोण पर ग्राइंडिंग करना l ( Grinding chesel at Various Angles )
उद्देश्य ( Objective )
छेनी के विभिन्न कोण पर ग्राइंडिंग करना l
आवश्यक औजार / मेटेरियल
- ग्राइंडिंग मशीन जो वर्कशॉप में लगी हो l
- छेनी
- कुलेंट
- कपडा
- गोगल
- मास्क
- दस्ताने
सावधानिया ( precaution )
- किसी भी चिजल को ग्राइंडिंग करते समय हाथो में दस्ताने पहने होना चाहिए l
- इसके आलावा आँखों पर भी गोगल लगे होना चाहिए l
- ग्राइंडिंग मशीन को पहले से चलाकर देख लेना चाहिए की दोनों व्हील सही तरह से बेलेंस है की नहीं l
- मशीन पर ग्राइंडिंग से पहले पानी का भरा डिब्बा कुलेंट के रूप में रख लेना चाहिए l
- किसी भी चिजल को ग्राइंडिंग करते समय अन्गल गेज भी हमारे पास होना चाहिए l
- बार बार चिजल का एंगल भी एंगल गेज से चेक कर लेना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
- किसी भी चिजल जिसको ग्राइंडिंग करना है उसका क्या एंगल बना रहे है जानकारी कर लेना चहिये l
- जैसा की ग्राइंडिंग मशीन के आरपीएम अधिक होते है काम बड़ी सावधानी के साथ करना चाहिए l
- किसी भी चिजल का एंगल कटिंग की जाने वाली धातु के अनुसार रखते है इसकी एंगल लिस्ट भी वर्कशॉप में होना चाहिए
- छेनी के पॉइंट को हल्का हल्का टच करते हुए ही चिजल को ग्राइंडिंग करना चाहिए l
- बार बार चिजल को पानी में डुबाते रहना चाहिए l
- फ्लैट चिजल में स्टील के लिए 70 डिग्री ,क्रोस कट में 70 डिग्री डायमनड पॉइंट में 60 डिग्री होता है l
- इसके अलावा हाफ राउंड चिजल को 45 डिग्री एंगल में ग्राइंड करते है l
- छेनी के कोने भी सही तरह से ग्राइंडिंग किया जाता है l
- छेनी को ग्राइंडिंग करते समय किसी तरह का कोई बर्र भी नहीं रहना चाहिये l
परिणाम ( Result )
इस तरह से हमने चिजल के पॉइंट एंगल के अनुसार ग्राइंडिंग से चिजल का कटाई एंगल बनाया l
प्रक्टिकल न 8
समतल सतहों की फाइलिंग ( Filing of flat surface )
उद्देश्य (Objective )
वर्कशॉप में फ्लैट सरफेस की फाइलिंग करना l
आवश्यक औजार / मेटेरियल
- बेंच वाईस
- हेक्सा फ्रेम
- फ्लैट फाइल
- स्क्राईबर
- पंच
- हेमर
- ट्राई स्क्वायर
- चोक
- आउट साइड कैलीपर
- इनसाइड कैलीपर
- ओड लेग कैलीपर
- स्टील रुल
सावधानिया ( precaution )
- किसी भी जॉब को साफ करने के बाद ही काम में लेना चाहिए l
- फाइल से फाइलिंग करते समय स्ट्रेट खड़े होना चाहिए l
- किसी भी जॉब को हाथ से बार बार साफ नहीं करना चाहिए l
- हेक्सा को चलाते समय ब्लेड को टाइट बांधना चाहिए l
- जॉब को ब्लू प्रिंटिंग विधि से फ्लैट सरफेस से चेक करना चाहिए l
- बेंच वाईस में जॉब को उचित दुरी पर बांधना चाहिए l
कार्यविधि ( working method )
- किसी भी जॉब को बनाने के लिए एक मेटल पर मार्किंग मिडिया को लगाकर सक्राइबर की सहायता से मार्क करते है l
- जिसके ऊपर हेक्सा चलाकर जॉब की कटिंग करते है l
- जैसे जैसे जॉब कट जाता है l
- कटे हुए की सतह सही नहीं बनी होती है l
- उनके किसी भी सतह को राईट एंगल में बनाने के लिए फाइल से फिनिशिंग की जाती है l
- इसके लिए जॉब की सतह पर स्ट्रेट फाइलिंग की जाती है l
- इसके बाद भी अगर जॉब की सतह समतल न बने तो उसको ड्रा फाइलिंग करके जॉब को समतल बनाया जाता है l
- किसी भी सतह की समतलता की जाँच ट्राई स्क्वायर से करते है l
प्रक्टिकल न 9
मार्किंग औजारों का उपयोग ( Use of marking tools )
उद्देश्य ( Objective )
वर्कशॉप में मार्किंग औजारों का उपयोग करना सिखाना l
आवश्यक औजार / मेटेरियल
- डॉट पंच
- सेंटर पंच
- हेमर
- मार्किंग मिडिया
- ट्राई स्क्वायर
- बेंच वाईस
- हेक्सा फ्रेम
- सक्राइबर
सावधानिया ( precautions )
- किसी भी जॉब पर मार्किंग से पहले जरुरी है की उसकी सभी सतह को सही तरह से राईट एंगल में बनांया जाये l
- इसके बाद में जॉब के कोनो पर जो बर्र लगे रहते है उनको साफ किया जाए l
- किसी भी जॉब की माप दी गयी माप से कम या अधिक नहीं होना चाहिए l
- जिस जॉब पर मार्किंग करनी हो उसकी सतह को चोक की हल्की परत से कोटिंग करना चाहिए l
- मार्किंग के लिए काम में आने वाले सक्राइबर का पॉइंट भी शार्प होना चाहिए l
- जॉब की मार्किंग रेखा को डॉट पंच से पक्का कर देना चाहिए l
कार्य विधि ( working method )
- किसी भी जॉब की मार्किंग के लिए जरुरी है की उसको दी गयी साइज़ में काटा जाये l
- जिसके बाद में उसको ट्राई स्क्वायर से 90 डिग्री में चेक करते हुए बनाया जाए l
- जिसके बाद में सभी सतह को स्मूथ बनाया जाए यानि की जिस पर मार्किंग मिडिया को लगाया जा सके l
- जिसके बाद में जॉब की दी गयी ड्राइंग के अनुसार माप को ओड लेग कैलीपर में भरा जाए l
- जब माप भर कर चाप मारे तो चाप स्पष्ट नजर आनी चाहिए l
- जिससे की मार्किंग को पक्का करते समय किसी भी तरह की कोई गलती न हो पाए l
- डॉट पंच और हेमर से की गयी मार्किंग को पक्का कर देते है l
- जिसके बाद में जॉब की अन्य ऑपरेशन किया जाता है l
- जॉब की मार्किंग सही हो जाती है तो जोब का सही सही बनाने नके चांस अधिकतम हो जाते है l
चित्र ———
परिणाम ( Result )
इस तरह से हमने एक जॉब की मार्किंग करने की क्रिया को सिखा l
प्रक्टिकल न 10
मोलिक मापन यन्त्र ( Basic Measuring Instruments )
उद्देश्य ( Objective )
वर्कशॉप में काम करते समय मापन औजार स्टील रुल व् केलिपर्स की कार्य प्रणाली से अवगत कराना l
आवश्यक औजार
- आउट साइड केलिपर
- इनसाइड केलिपर
- स्टील रुल
- ओड लेग केलिपर
सावधानिया ( Precautions )
- किसी मापक औजार को कटिंग औजार के साथ में नहीं रखना चाहिए l
- किसी भी जॉब मापा जाता है तो उसके किनारों को सही तरह से साफ कर लेना चाहिए l
- मापक औजार को भी अच्छी तरह से साफ करके काम में लेना चाहिए l
- स्टील रुल कही से भी मुडा हुआ नहीं होना चाहिए l
- मापन यंत्र भी कही से घीसा हुआ भी नहीं होना चाहिए l
कार्य विधि ( Working method )
- किसी भी जॉब को काटने से पहले मापा जाता है l
- जिससे की बनाये जाने वाला जॉब सही सही माप में बनाया जा सके l
- किसी भी जॉब को मापने के लिए सबसे पहले स्टील रुल का उपयोग किए जाता है l
- जॉब को माप में मार्किंग के लिए भी स्टील रुल का उपयोग किया जाता है l
- किसी जॉब की बाहरी मार्किंग के लिए आउट साइड कैलीपर को प्रयोग किया जाता है l
- अन्दर की माप लेने के लिए इनसाइड कैलीपर का उपयोग किया जाता है l
- जब जॉब के ऊपर समानांतर रेखाए खिची जाती है तो ओड लेग कैलीपर का प्रयोग किया जाता है l
- किसी भी जॉब की मापन में स्टील रुल से अधिक शुद्धता लेनी होतो वेर्नियर केलिपर का उपयोग किया जाता है l
चित्र ……………फीटिंग शॉप प्रक्टिकल
प्रक्टिकल न 11
समतल कार्यखंड पर मार्किंग और ड्रिलिंग करना l ( Marking and Drilling on Flat Workpiece )
उद्देश्य ( Objective )
किसी जॉब की समतल सतह पर मार्किंग करना और ड्रिल से छेद करना l
आवश्यक औजार / मेटेरियल
- ड्रिल बिट 10 mm
- ड्रिल मशीन
- मार्किंग मिडीया
- स्टील रुल
- सेंटर पंच
- डॉट पंच
- स्क्राइबर
- फ्लैट फाइल
सावधानिया ( Precaution ) —
- किसी भी जॉब पर मार्किंग करने के लिए सबसे पहले जॉब को राईट एंगल में बनाना चाहिए l
- किसी भी जॉब पर हुई मार्किंग को डॉट पंच से रेखा को काटते हुए पक्का करना चाहिए l
- scriber से लाइन सावधानी से खीचना चाहिए जो की सीधा दिखती रहे l
- जॉब पर ड्रिलिंग करना हो तो सेंटर पंच से पंचिंग करना चाहिए l
- ड्रिलिंग करते समय कुलेंट डालते रहना चाहिए जिससे की ड्रिल का पॉइंट ख़राब न हो पाए l
- ड्रिल जब होने वाला हो तो ड्रिल मशीन पर फीड कम कर देनी चाहिये l
कार्य विधि ( Working Method )
- किसी भी जॉब को मार्किंग करने के लिये सबसे पहले समतल बनाया जाता है l
- जैसा की बेंच वाईस में बांधकर जॉब को काटा जाता है l
- जिसके बाद में हो जॉब को फ्लैट फाइल की मदद से आसानी घीसा जाता है l
- जिससे की जॉब को सही तरह से चारो तरफ से चोकोर बनाया जा सके l
- किसी भी जॉब के राईट एंगल में बन जाने के बाद में उस पर चोक को लगाया जाता है l
- जिसके बाद में ड्रिल किये जाने वाले पॉइंट की मार्किंग डॉट पंच की सहायता से करते है l
- जिसके बाद में सेंटर पंच बनाये निशान पर ड्रिल मशीन में बंधे ड्रिल से ड्रिलिंग करते है l
- जिस सतह पर ड्रिल मशीन से ड्रिल करते है उसको धीरे धीरे से फीड देते है l
- धीरे धीरे पानी को भी डालते है जिससे ड्रील घर्षण से गर्म नहीं होता है l
- जब ड्रिल पूरा होने वाला होता है तो फीड कम कर देते है जिससे ड्रिल के फंसने या टूटने की सम्भावना नहीं होती है l
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परिणाम ( Result )
इस तरह से किसी जॉब पर मार्किंग व् ड्रिलिंग का प्रक्टिकल आसानी से कर लेते है l
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